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सूर्य पश्चिम में उगता दिखेगा, जब आपकी गति पृथ्वी के घूर्णन से तेज हो : प्रो. नारलीकर
रांची यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स और फैकल्टी के साथ इंट्रैक्शन प्रोग्राम
पद्मविभूषण विजेता भौतिक विज्ञानी प्रो. जयंत विष्णु नारलीकर ने कहा कि एक बार वे प्लेन से लंदन से शिकागो जा रहे थे। उनके बगल में खिड़की के पास एक एस्ट्रोनॉमर बैठे थे। वे टेलीस्कोप से बाहर का दृश्य देख रहे थे। उन्हें लगा कि सूर्य पश्चिम दिशा में क्षितिज से ऊपर की ओर बढ़ रहा है। यानी सूर्य पश्चिम दिशा में उदित हो रहा है। यह रोमांचक दृश्य था। स्ट्रोनॉमर ने मुझे भी वह दृश्य दिखाया। ऐसा कुछ क्षण के लिए हुआ था। प्रो. नारलीकर ने कहा कि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर चक्कर लगाती है। इसलिए सूर्य पूरब की ओर उदित होता दिखाई पड़ता है। यदि पृथ्वी अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर चक्कर लगाएगी तो सूर्य पश्चिम की ओर उदित होता दिखाई पड़ेगा, जो असंभव है।
सूर्य पश्चिम में उदित होता तभी दिखाई देगा, जब चार स्थितियां एक साथ हों। पहला जब सूर्य क्षितिज पर हो, दूसरा प्लेन ऊंचे अक्षांश पर उड़ रहा हो, तीसरा प्लेन पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर जा रहा हो, चौथा प्लेन की गति पृथ्वी की घूर्णन गति से अधिक हो। प्रो. नारलीकर सोमवार को रांची यूनिवर्सिटी के आर्यभट्ट ऑडिटोरियम में इंट्रैक्शन प्रोग्राम में स्टूडेंट्स और फैकल्टी से बातचीत कर रहे थे।
कुलपति प्रो. रमेश कुमार पांडेय ने प्रो. नारलीकर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। कहा कि प्रो. नारलीकर का जन्म महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 19 जुलाई 1938 को हुआ था। स्नातक विज्ञान की शिक्षा बीएचयू से प्राप्त की। आगे की शिक्षा ग्रहण करने 1957 में कैंब्रिज चले गए। इन्होंने एस्ट्रोनॉमी एस्ट्रोफिजिक्स में स्पेशलाइजेशन किया। ये इंस्टीट्यूट आॅफ थ्योरिटिकल एस्ट्रोनॉमी के फाउंडर सदस्य रहे। इन्होंने कन्फर्मल ग्रेविटी थ्योरी को डेवलप किया जो हायले-नारलीकर थ्योरी के नाम से जानी जाती है। 26 वर्ष की उम्र में इन्हें 1965 में पद्म विभूषण मिला। 1972 में भारत आए और टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ फंडामेंटल रिसर्च से जुड़ गए। इन्होंने ब्रह्मांड की उत्पत्ति के क्वासी स्टडी स्टेट के बारे में बताया। 100 किताबें लिखने वाले प्रो. नारलीकर को वर्ष 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
कार्यक्रम में प्रो. नारलीकर से सवाल पूछते शोधार्थी।
ये थे समारोह में उपस्थित
कार्यक्रममें प्रो. नारलीकर की प|ी वैज्ञानिक मंगला नारलीकर, राज्यपाल के प्रधान सचिव एसके सत्यपथी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार, प्रोवीसी डॉ. कामिनी कुमार, डीएसडब्ल्यू डॉ. एससी गुप्ता, एचआरडीसी निदेशक प्रो. अशोक चौधरी, रजिस्ट्रार डॉ. अमर कुमार चौधरी, इक्वेक निदेशक प्रो. संजय मिश्रा, प्रिंसिपल डॉ. यूसी मेहता, प्रिंसिपल डॉ. मंजु सिन्हा, प्रिंसिपल डॉ. सिस्टर ज्योति, डॉ. अभिजीत दत्ता, डॉ. एसके सिन्हा, डॉ. प्रकाश झा अन्य थे।
{गति केसामने समय का महत्व नहीं है? गति अधिक होने से समय की उपयोगिता खत्म हो जाती है? -एसकेसिन्हा, विभागाध्यक्षपीजी बॉटनी।
-ब्रह्मांडअपनाकार्य सीमाओं में करता है। समय का महत्व तब भी बना रहता है, क्योंकि उसकी गति का आकलन करना अभी संभव नहीं हुआ है।
{क्याब्रह्मांडमें नए क्वासर उत्पन्न हो रहे हैं? -प्रो.उदय कुमार, पीजीजियोलॉजी।
-क्वासीस्टडी स्टेट सिद्धांत में ब्रह्मांड के सतत निर्माण की परिकल्पना की गई है। क्वासर की उत्पत्ति एक विशेष काल और परिस्थितियों में हुई थी।
ब्रह्मांडकी उत्पत्ति के लिए हाइड्रोजन कहां से आया?
-मूलभूतकणों न्यूट्रॉन प्रोटॉन के जुड़ने से तत्वों का निर्माण होता है।
{सूर्यमेंसंलयन अभिक्रिया होती है या विखंडन? - स्टूडेंट
-सूर्य के अंदर संलयन अभिक्रिया होती है। इसमें हाइड्रोजन-हाइड्रोजन संलयित होकर हीलियम का निर्माण करता है। इस अभिक्रिया में प्रकाश भारी मात्रा में ताप उत्सर्जित होता है।
{समानांतरयूनिवर्सका क्या कांसेप्ट है? -नीलांजनशील, पीएचडी,छात्र
-यहहाइपोथियोरिटिकल है। इस पर रिसर्च चल रहा है।
{हॉकिंसरेडिएशनक्या है? क्या उसे डिटेक्ट किया जा सकता है? -नीलांजनशील, पीएचडीछात्र
-ब्लैक होल के बाहरी सतह से हल्का रेडिएशन होता है, जिसे हॉकिंस रेडिएशन कहते हैं। ब्लैक होल जितना छोटा होगा उतना ही अधिक रेडिएशन डिटेक्ट किया जा सकता है।
{सभीग्रहोंकी उत्पति बिग-बैंग से हुई है तो सस्टेनेबल लाइफ अर्थ पर ही क्यों है?-स्टूडेंट
-पृथ्वी सूर्य से 14 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर है। हम सूर्य से मंगल की ओर जाते हैं तो तापमान घटता है जबकि शुक्र की ओर जाने पर बढ़ता है जो जीवन के लिए अनुकूल नहीं है।
{पृथ्वीकेबाहर से आए बैक्टीरिया से जीवों की उत्पति की अवधारणा क्या है?
-प्रो.बीके सिन्हा, एसएसमेमोरियल कॉलेज
इसेनाभिकीय अनुपात के अध्ययन से समझा जा सकता है।
कार्यक्रम में प्रो. नारलीकर को मोमेंटो दिया गया। इस दौरान वैज्ञानिक मंगला नारलीकर, वीसी रमेश कुमार पांडेय और सीएम के सचिव संजय कुमार भी थे।
भौतिक विज्ञानी ने साझा किया प्लेन से लंदन टू शिकागो यात्रा वृतांत