हर घर नल का जल पहुंचाने का वादा, जल-जीवन-हरियाली मिशन पर 6 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे
- जल संचयन और जल स्रोतों को बचाने पर सरकार की तैयारी
- कुओं का वाटर लेबल बनाए रखने के लिए उनके पास खोखता बनेंगे
पटना. वित्त मंत्री सुशील मोदी द्वारा पेश किए गए बजट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जल-जीवन-हरियाली मिशन और हर घर नल का जल अभियान का प्रमुखता दी गई। देश में पहली बार किसी राज्य सरकार द्वारा ग्रीन बजट पेश किया गया। राज्य में जल-जीवन-हरियाली अभियान में 6,007.98 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
हर घर नल का जल पहुंचाने वाला पहला राज्य बनेगा बिहार
मुख्यमंत्री पेयजल एवं गली-नाली पक्कीकरण निश्चय योजना के अंतर्गत राज्य के सभी घरों तक पाइप से पेयजल एवं सभी बस्तियों में गली-नाली पक्की करने हेतु 37 हजार 70 करोड़ रुपए खर्च का लक्ष्य रखा गया है। भारत सरकार द्वारा भी जल जीवन मिशन के अंतर्गत 2024 तक 3 लाख 50 हजार करोड़ रुपए खर्च कर देश के सभी घरों में पाइप से जलापूर्ति करने का लक्ष्य रखा है। बिहार को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा, क्योंकि जब यह योजना देश भर में शुरू हो रही है तब तक बिहार में पाइप से जलापूर्ति का कार्य पूरा हो जाएगा। योजना पूरी होने पर बिहार देश का पहला राज्य बन जाएगा, जिसके हर घर तक नल का जल एवं सभी गली-नाली का पक्की होंगी।
हल घर नल का जल योजना के अंतर्गत 81,723 वार्डों में कार्य प्रारम्भ एवं 42,144 वार्डों में कार्य पूर्ण कर लिया गया है। शेष कार्य मार्च 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है। आर्सेनिक, आयरन, फ्लोराइड प्रभावित 30,497 वार्ड में से 27,993 वार्डों में कार्य प्रारम्भ तथा 2,963 वार्डों में कार्य पूर्ण कर लिया गया है। विकास एवं आवास विभाग अन्तर्गत 3,340 वार्ड में से 2,877 वार्डों में कार्यारम्भ, 1,074 में पूर्ण कर लिया गया है। कुल 12.90 लाख घर तक नल का जल पहुंचाने का लक्ष्य था जिसमें से 6.16 लाख घर तक नल का जल पहुंच गया है। मुख्यमंत्री पक्की नली गली योजना के अंतर्गत 1,14,691 वार्डों में से 99,070 वार्डों में कार्य प्रारम्भ एवं 74,639 वार्ड में पूर्ण कर लिया गया है। 178 लाख घरों को पक्की गली से जोड़ना था, इनमें से 112.32 लाख घर पक्की गली और सड़क से जुड़ गए हैं।
जल-जीवन-हरियाली
जलवायु परिवर्तन और बारिश की कमी से भू-गर्भ जल में गिरावट हो रही है। इसके चलते 24,524 करोड़ रुपए के खर्च से जल-जीवन-हरियाली अभियान शुरू किया गया। देश के किसी राज्य में पहली बार इस तरह का अभियान शुरू किया गया है। तलाब, पोखर, आहर, पाइन, कुओं को चिन्हित कर अतिक्रमण मुक्त करते हुए जीर्णोद्धार किया जा रहा है। कुओं-चापाकलों के किनारे सोख्ता, रिचार्ज, जल संग्रहण क्षेत्रों में चेकडैम, सघन पौधरोपण, छतों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सौर ऊर्जा एवं ऊर्जा बचत, ड्रिप इरिगेशन आदि में वर्ष 2019-20 में 2,492.47 करोड़ रुपए और 2020-21 में 3,515.51 करोड़ रुपए (कुल 6,007.98 करोड़ रुपए) खर्च होंगे।
बिहार में 1,66,962 जल संचयन संरचनाओं, 18,840 आहर, 28,013 पाइन, 1 लाख 16 हजार कुओं का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। 9 लाख चापाकल एवं कुओं के पास सोख्ता निर्माण किया जा रहा है। 8,074 नदियों/नालों पर चेकडैम, 1813 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में 7,174 नए जल स्रोतों का सृजन, 30 हजार 711 सरकारी भवनों पर छत वर्षा जल संचयन, 709.85 हेक्टेयर में 1,794 पौधशालाओं में 4.69 करोड़ पौधे तैयार करने, 527 भवनों से सौर ऊर्जा एवं ऊर्जा बचत हेतु ऊर्जा अंकेक्षण का कार्य प्रारम्भ हो चुका है।