आज की पॉजिटिव खबर:रिटायरमेंट के बाद 85 की उम्र में शुरू किया बिजनेस, 50 देशों में मार्केटिंग; हर महीने 1.5 करोड़ टर्नओवर
‘हम सबको जिंदगी किसी मकसद से मिली है। जो ऐसा समझते हैं उन्हें जिंदगी कई मौके देती है’- ये कहना है 85 साल के राधाकृष्ण चौधरी का। जो 85 की उम्र में आयुर्वेदिक कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट का बिजनेस कर रहे हैं। एक साल में ही उन्होंने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड, जर्मनी सहित दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में अपने कस्टमर बना लिए हैं। इससे वो हर महीने 1.5 करोड़ का बिजनेस कर रहे हैं और 25 लोगों को रोजगार भी दिया है।
उनकी तीन बेटियां हैं। जिनसे वो प्यार तो बहुत करते हैं, लेकिन किसी पर डिपेंडेंट नहीं रहना चाहते हैं। उन्होंने अपने ब्रांड का नाम Avimee Herbal रखा है। जो तीनों बेटियों के नाम के पहले अक्षर से मिलकर बना है।
प्रोडक्ट तैयार करने में राधाकृष्ण की मदद पत्नी शकुंतला देवी चौधरी (79) करती हैं। उनकी बेटियां और नाती-पोते उसके प्रचार-प्रसार से लेकर लोगों तक पहुंचाने का काम करते हैं। इन्हें लोग प्यार से नानाजी बुलाते हैं। इनके नुस्खे नाना जी नुस्खे के नाम से मशहूर हो रहे हैं।
आज की पॉजिटिव खबर में आइए जानते हैं राधाकृष्ण के सफर के बारे में जो उम्र के इस पड़ाव में भी जिंदादिली की मिसाल पेश कर रहे हैं...
कहानी की शुरुआत बचपन से करते हैं
राधाकृष्ण चौधरी बिहार के भागलपुर के रहने वाले हैं। वैसे तो वो एक लॉ ग्रेजुएट हैं, लेकिन बचपन से आयुर्वेद पढ़ने और उस पर रिसर्च करने में काफी इंट्रेस्ट रहा है। कोरोना में उन्हें अपने अधूरे सपने को पूरा करने का मौका मिल गया।
भास्कर के साथ बात करते हुए राधाकृष्ण बताते हैं, ‘मुझे पढ़ने का शौक हमेशा से रहा है। स्कूल टाइम से ही मैं आयुर्वेद से जुड़ी मैगजीन पढ़ता था, लेकिन सही समय पर मार्गदर्शन न मिलने के कारण मैं इस फील्ड में आगे पढ़ नहीं पाया। मेरी पढ़ाई खत्म होते ही मेरे पिताजी ने अपने कारोबार में हाथ बंटाने को कहा। चूंकि मैं 4 भाइयों में सबसे बड़ा था तो पिताजी के बाद मुझे ही फैमिली बिजनेस को संभालने की जिम्मेदारी मिली।
वे कहते हैं कि कुछ साल पहले मेरी दूसरे नंबर की बेटी के साथ एक हादसा हो गया। तब बिजनेस की सारी जिम्मेदारी छोटे भाई को सौंपकर बेटी के पास दिल्ली चला आया। कुछ समय बाद मैं उसी बेटी के साथ दिल्ली से सूरत रहने आ गया।
राधाकृष्ण 2010 में अपने काम से रिटायरमेंट ले लिया। इन सब जिम्मेदारियों के बीच उन्होंने अपने पढ़ने के शौक को कभी नजरअंदाज नहीं किया।
नई शुरुआत कैसे हुई?
कोरोना में लगातार लोगों के बाल झड़ने की शिकायत आ रही थी। तो राधाकृष्ण ने सोचा क्यों न अपने आयुर्वेद के ज्ञान का इस्तेमाल कर लोगों की तकलीफ दूर की जाए। इस तरह उन्हें एक मकसद भी मिल गया।
रामकृष्ण बताते हैं, ‘कोरोना से ठीक होने के बाद मेरे कई रिश्तेदार बाल झड़ने की शिकायत कर रहे थे। मैंने सोचा क्यों न इस परेशानी का समाधान ढूंढा जाए। सबसे अच्छी बात ये है, जब पूरी दुनिया कोरोना के डर में जी रही थी, तब मैं रिसर्च में जुटा हुआ था। उन दिनों मैं किताबें और रिसर्च पेपर पढ़ने में घंटों बिता देता था।
इतना कुछ पढ़ने के बाद भी मुझे किसी उपाय में पूरी तरह से संतुष्टि नहीं मिल रही थी। फिर खुद ही रिसर्च कर कोल्ड-प्रेस्ड टेक्नीक से हेयर ऑयल तैयार किया। जिसमें किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया। इसे नारियल, काले तिल, ऑलिव ऑयल, कैस्टर ऑयल, कलौंजी, कैरियर ऑयल और एसेंशियल ऑयल के अलावा 50 से ज्यादा जड़ी बूटियों से बनाया।’
ऑयल को सबसे पहले बुजुर्ग दंपति ने खुद पर आजमाया और वो काम भी करने लगा। रामकृष्ण के सिर पर बाल उगने लगे तो उनका कॉन्फिडेंस और बढ़ गया। फिर उन्होंने दोस्तों और परिवार के लोगों को ऑयल दिया और उनसे उनकी राय मांगी। सभी का रिस्पॉन्स अच्छा आने के बाद ऑयल को केशपल्लव हेयर ऑयल नाम से मार्केट में बेचना शुरू किया।
लोगों की बढ़ती डिमांड ने ब्रांड बना दिया
ऑयल बनाने का मकसद लोगों के बाल झड़ने की समस्या से छुटकारा दिलाना था। उन्होंने सोचा नहीं था कि वो 10 साल बाद फिर से काम करेंगे।
राधाकृष्ण कहते हैं, ‘हेयर ऑयल को लोग इतना पसंद करने लगे कि कम समय में ही काफी ऑर्डर आने लगे। साथ ही मैं कई और प्रोडक्ट बनाने पर भी रिसर्च कर रहा था। उन सभी ऑर्डर को घर से पूरा करना मुश्किल हो रहा था। तब मेरी बेटियां और उनके बच्चों ने मुझे इस काम को बढ़ने का सुझाव दिया। मुझे भी ये बात ठीक लगी। फिर हमने घर से निकलकर सूरत के इंडस्ट्रियल एरिया पंदेसरा में अपनी एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बनाई।
इसके बाद ब्रांड का नाम तय करना था। तो मैंने Avimee रखा जो बेटियों (अनीता, विनीता और मीनाक्षी) के नाम के पहले लेटर से लिया गया है। मैं इस दुनिया से चला भी जाऊं तो भी इनका नाम ऐसे ही चलता रहे ये सोचकर ये नाम दिया।’
फिलहाल राधाकृष्ण और शकुंतला करीब 25 वर्कर की मदद से प्रोडक्ट तैयार करते हैं। उसकी मार्केटिंग इनका नाती सिद्धांत अग्रवाल और उसकी पत्नी अंबिका अग्रवाल मिलकर करते हैं।
नानाजी इंस्टाग्राम फेम बन चुके हैं
राधाकृष्ण अपने काम को काफी एन्जॉय करते हैं। उनके एक्साइटमेंट को उनके वीडियो के जरिए देखा जा सकता है। अंबिका नानाजी के वीडियो लगातार इंस्टाग्राम पर पोस्ट करती हैं। जिसमें वो लोगों को बेहतर जिंदगी जीने की प्रेरणा देते हैं।
अंबिका अग्रवाल कहती हैं, ‘नानाजी अपने कस्टमर का भरोसा बनाए रखने और सपोर्ट करने के लिए सोशल मीडिया से जुड़े रहते हैं। उनके ज्यादातर वीडियो में मैसेज होता है। लोग भी उनके इस तरह काम करने के अंदाज को काफी पसंद कर रहे हैं। कई लोग हमें फोन करके उन्हें धन्यवाद करते हैं।
वे बताते हैं कि ऑयल के इस्तेमाल से उनके बाल झड़ना बंद हो गए। इस तरह के रिस्पॉन्स से नानाजी खुश होकर दूसरे प्रोडक्ट तैयार करने में जुट जाते हैं। हम इंस्टाग्राम से लोगों की सुझाव भी लेते हैं। अभी तक मिले सुझाव के अनुसार हमारे कस्टमर 92% सेटिस्फाइड हैं। बाकी का 8% डिलीवरी या लॉजिस्टिक से जुड़ी होती है। जिसका सॉल्यूशन हम धीरे-धीरे कर रहे हैं।’
बुढ़ापे को काटने की बजाय खुशी से जीना चाहिए
राधाकृष्ण का मानना है कि उम्र का हर पड़ाव खुशी से भरा होता है। बस इसे देखने का नजरिया अपना होना चाहिए।
वो कहते हैं, ‘मुझे लगता है बुढ़ापे को काटने की बजाय खुशी से जीना चाहिए। ऐसा कम ही लोगों में देखने को मिलता है। मेरे ज्यादातर साथी रिटायरमेंट के बाद जिंदगी को बोझ समझ कर जीते हैं। वो मान लेते हैं कि जीवन का सारा काम हो गया है और अब बस मौत का इंतजार है। जबकि जिंदगी और मौत दोनों ही हमारे हाथ में नहीं है। बहुत मुश्किल से मिलती है ये जिंदगी इसे किसी लक्ष्य के साथ जीना चाहिए, ताकि अंत तक हम उसका आनंद ले सकें। मैं इसी तरह जीता हूं और नतीजा आप सबके सामने है।’
आपका इस उम्र में फिट रहने का मंत्र क्या है?
राधाकृष्ण बताते हैं, ‘मैं हर दिन सुबह 5 बजे उठता हूं। नित्य कर्म करने के बाद योग और प्राणायाम करता हूं। सात्विक और घर का ही बना खाना खाता हूं। मुझे लगता है एक हेल्दी रूटीन के साथ आपकी सोच भी पॉजिटिव होनी चाहिए, क्योंकि आपका मन ही आपके शरीर का संचालन करता है। जैसा आप सोचते हैं वैसे ही आप बनते जाते हैं। जब आप किसी मकसद के साथ जीना चाहते हैं तो आपका शरीर भी उस मकसद को पूरा करने में आपकी मदद करता है। भले ही मैं 85 साल का हूं पर मुझे लगता है कि मुझे अभी भी बहुत कुछ करना है।'