कंगना पर राजद्रोह का केस:FIR रद्द करने वाले मामले की सुनवाई 15 फरवरी तक टली, याचिकाकर्ता ने कहा- एक्ट्रेस ने जानबूझकर नफरत फैलाने वाले ट्वीट किए
एक धर्म विशेष के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में देशद्रोह का मुकदमा झेल रही एक्ट्रेस कंगना रनोट को 15 फरवरी तक राहत मिलती नजर आ रही है। अदालत में सोमवार को इस मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और कास्टिंग डायरेक्टर मुनव्वर अली सैय्यद ने जवाबी हलफनामे में कहा कि दोनों बहनों ने जानबूझकर घृणा फैलान और महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए ट्वीट किए थे।
जिसके बाद अदालत ने इस मामले की सुनवाई 15 फरवरी तक के लिए टाल दी। सैयद ने कहा, "ट्वीट के जरिए दोनों बहनों ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ राजद्रोह, असंतोष, घृणा और शत्रुता पैदा करने का प्रयास किया था, जबकि यह सरकार भारत में कानून के जरिए स्थापित है।"
अदालत में किस मामले की हो रही सुनवाई
बांद्रा पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से दिए गए निर्देश के बाद कंगना और उनकी बहन रंगोली के खिलाफ सोशल मीडिया के माध्यम से सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने की कोशिश करने के आरोप में एफआईआर दर्ज किया था। जिसके बाद रनोट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर कर उनके खिलाफ बांद्रा पुलिस स्टेशन में दर्ज देशद्रोह के केस को रद्द करने की मांग की है। अदालत में इसी मामले की सुनवाई चल रही है।
कंगना पर याचिकाकर्ता के यह थे आरोप
बांद्रा मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में बॉलीवुड कास्टिंग निर्देशक एवं फिटनेस ट्रेनर मुनव्वर अली सैयद ने एक याचिका दायर की थी। सैयद ने कंगना के कुछ ट्वीट का हवाला देते हुए याचिका में कहा था, "कंगना पिछले कुछ महीनों से लगातार बॉलीवुड को नेपोटिज्म और फेवरेटिज्म का हब बताकर इसका अपमान कर रही हैं। अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर और टीवी इंटरव्यू के जरिए वे हिंदू और मुस्लिम कलाकारों के बीच फूट डाल रही हैं।"
सैयद ने आगे आरोप लगाया, "उन्होंने बहुत ही आपत्तिजनक ट्वीट किए हैं, जो न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को, बल्कि इंडस्ट्री के कई कलीग्स की भावनाओं को भी आहत करते हैं।" साहिल ने सबूत के तौर पर कंगना के कई ट्वीट कोर्ट के सामने रखे हैं।
इन धाराओं में दर्ज हुआ है केस
बांद्रा के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट जयदेव वाय घुले ने कंगना के खिलाफ CRPC की धारा 156 (3) के तहत FIR दर्ज कर जांच के आदेश दिए थे। इस पर एक्शन लेते हुए पुलिस ने कंगना और उनकी बहन के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किया था।
- धारा 153 A: आईपीसी की धारा 153 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है, जो धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं। इसके तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- धारा 295 A: इसके अंतर्गत वह कृत्य अपराध माने जाते हैं जहां कोई आरोपी व्यक्ति, भारत के नागरिकों के किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के विमर्शित और विद्वेषपूर्ण आशय से उस वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करता है या ऐसा करने का प्रयत्न करता है।
- धारा 124 A: यदि कोई भी व्यक्ति भारत की सरकार के विरोध में सार्वजनिक रूप से ऐसी किसी गतिविधि को अंजाम देता है जिससे देश के सामने सुरक्षा का संकट पैदा हो सकता है तो उसे उम्रकैद तक की सजा दी जा सकती है। इन गतिविधियों का समर्थन करने या प्रचार-प्रसार करने पर भी किसी को देशद्रोह का आरोपी मान लिया जाएगा।
- धारा 34: भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के अनुसार, जब एक आपराधिक कृत्य सभी व्यक्तियों ने सामान्य इरादे से किया हो, तो प्रत्येक व्यक्ति ऐसे कार्य के लिए जिम्मेदार होता है जैसे कि अपराध उसके अकेले के द्वारा ही किया गया हो।