पंचायत चुनाव:5 पंचायत समितियों में 67.22% मतदान, 43 दिन पहले हुए सरपंच चुनाव से 22.89%घटा, 25 साल में सबसे कम पड़े वोट
- चुनाव के प्रथम चरण में चौहटन, रामसर, फागलिया, गडरारोड व धनाऊ में 67.22% मतदान
- वजह; पंच-सरपंच के साथ चुनाव नहीं होने से घटा मतदान प्रतिशत
पंचायतीराज चुनाव के प्रथम चरण का मतदान सोमवार को सुबह 7.30 से शाम 5 बजे तक हुआ। चौहटन, रामसर, फागलिया, गडरारोड व धनाऊ में कुल 67.22 फीसदी मतदान हुआ। ऐसा पहली बार हुआ है जब जिला परिषद और पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव पंच-सरपंच के चुनाव से अलग हुए है।
ऐसे में पंचायतीराज संस्थाओं के मतदान को लेकर वोटरों में उतनी उत्सुकता नजर नहीं आई, जितनी गांव की सरकार चुनने को दिखाते हैं। महज 43 दिन में ही पंच-सरपंच के मुकाबले पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव में 22.89 फीसदी कम मतदान हुआ है।
25 साल में अब तक का सबसे कम मतदान है। अक्टूबर में हुए पंच-सरपंच के चुनाव में इन्हीं पांच पंचायत समितियों में 90.11 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि जिला परिषद व पंचायत समिति सदस्य के लिए 67.22 फीसदी ही मतदान हुआ है।
सोमवार को जिला परिषद की 13 सीटों पर 37 और पांच पंचायत समितियों की 95 सीटों पर 235 प्रत्याशियों का भाग्य अब ईवीएम में बंद हो गया है। जिलेभर में शांतिपूर्ण मतदान संपन्न हुआ है, कहीं भी किसी तरह की विवाद की खबर नहीं आई। कुछ मतदान केंद्रों पर ईवीएम में दिक्कत से देरी से मतदान शुरू हुआ तो कुछ जगह बीच में ईवीएम खराब हो जाने से मतदान को रोक कर पुन: शुरू किया गया। इससे कतार में खड़े मतदाताओं को काफी परेशानी हुई।
हालांकि एक ही मतदान केंद्र पर जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्य के लिए अलग-अलग ईवीएम होने से मतदाता काफी परेशान हुए। कई बुजुर्ग एक ईवीएम पर मतदान के बाद केंद्र से बाहर निकलने लग जाते थे, जिन्हें पोलिंग पार्टियों को मतदान के लिए रोक कर दूसरी ईवीएम के लिए मतदान करने के लिए कहना पड़ रहा था।
सबसे ज्यादा गडरारोड में 70.44%, सबसे कम फागलिया में 59.75%पड़े वोट
सुबह धीमी रफ्तार, दोपहर में गति पकड़ी
पांच पंचायत समितियों में सोमवार को हुए मतदान की सुबह के समय रफ्तार बहुत धीमी रही। वोटरों पर सर्दी का असर साफ नजर आया। इस वजह से दोपहर 12 बजे तक महज 23.05 फीसदी मतदान हुआ। जबकि पंच-सरपंच के चुनावों में दोपहर 12 बजे तक 40 फीसदी से ज्यादा मतदान हो गया था।
गांवों में ठंड के कारण लोग देरी से उठे। दोपहर बाद मतदान ने रफ्तार पकड़ी। जहां सुबह के साढ़े चार घंटे में 23 फीसदी मतदान हुआ था, वहीं दोपहर बाद के पांच घंटों में वो 44 फीसदी हुआ। ऐसे में दोपहर बाद मतदाताओं की बूथों पर लंबी कतारे लग गई। बूथ पर दो-दो ईवीएम के कारण मतदान की रफ्तार भी धीमी रही।
15 जगह ईवीएम खराब, कंट्रोल यूनिट तो कहीं बैलेट यूनिट बदले
पांच समितियों में हुए चुनाव में सोमवार को 15 जगह ईवीएम खराब हो गई। कई जगह तो शुरूआती दौर में ही दिक्कत आई वहीं कई जगह 2-3 घंटे चलने के बाद अचानक ईवीएम जाम हो गई। इसके बाद रिजर्व ईवीएम से कहीं कंट्रोल यूनिट तो कहीं बैलेट यूनिट को बदलकर मतदान को सुचारू करवाया।
सबसे ज्यादा गडरारोड में 70.44 फीसदी मतदान हुआ, जबकि सबसे कम फागलिया में 59.75 फीसदी मतदान हुआ। मतदान समाप्ति के बाद पोलिंग पार्टियां ईवीएम लेकर जमा करने के लिए पहुंच गई। देर रात 12 बजे तक पोलिंग पार्टियां जिला महाविद्यालय में ईवीएम को जमा करवाने के लिए पहुंच रही थी। ईवीएम पंचायत समिति वार कक्ष में जमा होगी। जिनकी त्रिस्तरीय सुरक्षा रहेगी। 8 दिसंबर को इन ईवीएम को मतगणना के लिए खोला जाएगा। चरणवार ईवीएम को जिलेभर से लाकर जिला कॉलेज में जमा करवाया जाएगा।
पहली बार ईवीएम से जिप व पंस. सदस्य के लिए डाले वोट
बाड़मेर में अब तक पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव मत पत्र से हुए है। 2015 में बैलेट पेपर के कारण करीब 40 घंटे मतगणना चली थी। यह पहला मौका है जब बाड़मेर में जिला परिषद व पंचायत समिति सदस्य के लिए बैलेट पेपर की बजाय इस बार दोनों को ईवीएम से वोट डाले गए। ऐसे में रिजल्ट के दौरान भी लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सोमवार को जिला परिषद के 13 वार्डों के लिए 37 और 95 पंचायत समिति सदस्य सीटों के लिए 235 प्रत्याशी मैदान में थे। अब इनका भविष्य ईवीएम में कैद हो गया है।