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धोद की धाक:राजस्थान के बैंड ने 110 देशों में बढ़ाई शान, 23 सालों में 700 को दिलाई पहचान

जयपुर2 महीने पहलेलेखक: लता खण्डेलवाल
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सीकर जिले के धोद गांव से निकला है रईस भारती का परिवार।
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आज फिनलैंड की राजधानी हेलिसंकी में होगी बैंड की प्रस्तुति, इस साल के लिए अब तक 13 देशों के कार्यक्रम बुक
राजस्थान के धोद गांव से निकले धोद बैंड ने पिछले 23 सालों में 110 देशों में लाखों लोगों के बीच अपनी प्रस्तुतियों से दुनियाभर में प्रदेश का मान बढ़ाया है।

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चाहे क्वीन एलिजाबेथ की डायमंड जुबली रही हो या फिर पेरिस पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत की बात हो... धोद बैंड ने अपनी प्रस्तुतियों से खूब दाद पाई है। दुनिया भर में उनके कार्यक्रम की मांग रहती है। इस साल के लिए उनके पास 13 देशों में कार्यक्रम बुक हो चुके हैं। ये कार्यक्रम युगांडा, कीनिया, नेरोबी, फिनलैंड, इटली, डेनमार्ग, नार्वे, जर्मनी और पुर्तगाल आदि में होंगे। इसी क्रम में 8 फरवरी को बैंड का फिनलैंड की राजधानी हेलिसंकी में कार्यक्रम होगा।

बैंड के डायरेक्टर रईस भारती के जीवन पर फ्रांस में लिखी गई पुस्तक
इस बैंड की विदेशों में इतनी ख्याति हुई कि कोरोना काल में बैंड के डायरेक्टर रईस भारती के जीवन पर फ्रांस में एक किताब लिखी गई-राजस्थान के दिल की धड़कन रईस भारती और धौद। फ्रांस के प्रसिद्ध राइटर मार्टिन ले काॅज ने यह पुस्तक फ्रेंच भाषा में लिखी है।

राॅक स्टार एम के साथ भी किए कार्यक्रम : जयपुर आए बैंड के मुखिया रईस भारती बताते हैं कि उन्होंने फ्रांस के पॉप राॅक स्टार एम के साथ भी कार्यक्रम किए हैं। जिस भी देश में उन्होंने अपने बैंड की प्रस्तुति दी वहीं उन्हें खूब सराहना मिली।

उनके बैंड में हमेशा 15 से अधिक लोक कलाकार रहते हैं। हर बार जब भी जयपुर आते हैं प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के लोक कलाकारों को बैंड के साथ जुड़कर अपनी कला विदेशों तक पहुंचाने का मौका देते हैं। वे 23 सालों में अब तक 700 लोक कलाकारों को विदेश ले जा चुके हैं। इनमें ढोल, तबला, करताल, ढोलक बजाने वालों के साथ ही मांड गायक और लोक गायक शामिल हैं।

सीकर जिले के धोद गांव से निकला है रईस भारती का परिवार : भारती के दादा-परदादा सीकर जिले के धोद गांव से निकले और लोक गीतों से जुड़े रहे। उनके ही काम को आगे बढ़ाने का अपना मकसद बनाकर उन्होंने विदेशों में अपनी यह पहचान बनाई है। भारती बताते हैं कि अपनी मिट्टी की खुशबू हमेशा अपने साथ रखने के मकसद से ही उन्होंने अपने गांव के नाम पर बैंड का भी नाम रखा है।

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