अफसराें की उदासीनता:रोज 70 सैंपलों की जांच में सक्षम, लेकिन आते हैं औसतन ढाई केस
- अफसराें की उदासीनता की वजह से सड़कों की क्वालिटी जांचने वाली पीडब्लूडी की सेंट्रल लैब बंद हाेने के कगार पर
सड़कों की क्वालिटी जांच के लिए लाखों रुपए की लागत से बनी पीडब्लूडी की सेंट्रल लैब अफसरों की उदासीनता की वजह से बंद होने के कगार पर है। लैब में हर दिन 70 से अधिक सैंपलों की जांच हो सकती है, लेकिन मात्र ढाई सैंपलों की जांच हो रही है। ठेकेदार और अफसर सड़कों की जांच प्राइवेट लैब में कराना पसंद करते हैं।
इसकी वजह यह है कि प्राइवेट लैब सैंपल को आसानी से पास कर देती है, जबकि सेंट्रल लैब में संबंधित अफसर और ठेकेदार के सामने सैंपल की जांच होती है। इसमें दूध का दूध पानी का पानी सामने आ जाता है। दूसरी तरफ प्राइवेट लैब में तो सैंपल ले जाने की भी जरूरत नहीं है। ठेकेदार और अफसरों को सड़क का नाम बताने पर जांच रिपोर्ट ओके मिल जाती है। इसी वजह से प्रदेश की सड़कें क्वालिटी के मापदंडों पर खरी नहीं उतर रही है।
11 अफसर ले रहे हैं हर महीने 15 लाख वेतन
लैब में सैंपलों की जांच के लिए करीब 11 अफसर लगे हुए हैं। इन अफसरों को हर महीने 15 लाख रुपए वेतन जा रहा है, जबकि कमाई 1 लाख रुपए से भी कम हो रही है। ऐसे में विभाग को लैब में जांच के लिए सैंपलों को बढ़ाना चाहिए।
विभाग के इस आदेश की वजह से नहीं आ रहे सैंपल
विभाग ने सड़कों की जांच के लिए प्राइवेट लैबों को भी मान्यता दे रखी है। यह स्थिति तो तब है जबकि विभाग की हर जिले में जांच के लिए लैब स्थापित है। अगर विभाग इस आदेश को वापस ले लेता है तो लैब में सैंपलों की संख्या में न सिर्फ बढ़ोतरी होगी, बल्कि सड़कों की क्वालिटी में भी सुधार होगा।
7 साल से नहीं आ रहे जेडीए-निगम की सड़कों के सैंपल
पीडब्लूडी की सेंट्रल लैब में सात साल पहले नगर निगम और जेडीए की ओर से बनाई जाने वाली सड़कों की जांच होती थी, लेकिन सात साल से एक भी सैंपल जांच के लिए नहीं आया है। ये दोनों प्राइवेट लैब पर सड़कों की जांच करा रहे हैं, जबकि जेडीए की बनी लैब बंद पड़ी हुई है। पहले इस लैब को पीडब्लूडी अफसर संचालित कर रहे थे।