प्रो. आरए गुप्ता का इंटरव्यू:आरटीयू में बनेगा नया रिसर्च हब, फैकल्टीज भी जल्द होंगी रिक्रूट
- प्रैक्टिकल का हिस्सा भी अब 20 से बढ़ाकर किया 30 फीसदी
हर साल इंजीनियरिंग कॉलेजों की अधिकांश सीटें खाली रह जाती हैं। यह इस स्ट्रीम की सबसे बड़ी समस्या है। वहीं गर्ल स्टूडेंट्स के एनरोलमेंट भी इस स्ट्रीम में कम हो रहे हैं। हालांकि हाल में आरटीयू के कॉन्वोकेशन में गोल्ड मेडल जीतने में लड़कियां लड़कों से आगे रहीं। इन्हीं सब मुद्दों व आरटीयू की भविष्य की प्लानिंग को लेकर रिपोर्टर प्रवीण जैन ने बात की आरटीयू, कोटा के वीसी प्रो. आरए गुप्ता से। इंजीनियरिंग में सीटें खाली रहती हैं। अधिक एडमिशन के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं।
पढ़ाई को लेकर लगातार इम्प्रूवमेंट किया जा रहा है। स्टूडेंट्स के अच्छे प्लेसमेंट हो रहे हैं। इंटरनेट ऑफ थिंग्स के नए प्रोग्राम भी यूनिवर्सिटी शुरू कर रही है। इसके अलावा आईपीआर पर भी काम किया जा रहा है। हमने कोरोना काल में रिजल्ट समय पर दिए हैं। यूनिवर्सिटी ने एमटेक से लेकर बीटेक का सिलेबस पांच साल बाद रिवाइज किया है।
गर्ल्स एनरोलमेंट बढ़ाने के लिए क्या कर रहे हैं?
आरटीयू की ओर से इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी की ओर से ओपन च्वाइसेज बेस्ड सिस्टम भी बनाया जा रहा है। इसमें छात्राओं का रुझान बढ़ेगा। वैसे पहले की तुलना में एनरोलमेंट भी बढ़ रहा है। जो कि इंजीनियरिंग के लिए अच्छा संकेत है।
स्टेट इंजीनियरिंग कॉलेजों की क्वालिटी को बेहतर बनाने के लिए आप क्या कर रहे हैं?
प्रयास कर रहे हैं कि स्टूडेंट्स साल भर कॉलेज आएं और पढ़ाई करें। इसके लिए हमारे सिलेबस में परिवर्तन कर दिया गया है। प्रैक्टिकल पर अधिक फोकस है। प्रैक्टिकल का हिस्सा 20 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है। अब 30:70 कुल अनुपात है। इससे स्टेट इंजीनियरिंग कॉलेजों की क्वालिटी बेहतर होगी। छात्रों की अच्छी क्वालिटी कॉलेज में आ रही है।
फैकल्टी के खाली पद भरने और रिसर्च को मजबूत बनाने के लिए यूनिवर्सिटी क्या कर रही है?
बहुत ही जल्द हम नई फैकल्टीज को रिक्रूट करने जा रहे हैं। सरकार से कुछ पोस्ट्स स्वीकृत करवा ली हैं। कैंपस में ही रिसर्च हब की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। इंजीनियरिंग कॉलेज के स्टूडेंट्स यहां आकर रिसर्च वर्क कर सकेंगे। उन्हें गाइडेंस भी मिल पाएगा।
भविष्य की प्लानिंग क्या है?
नई ब्रांचेज में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बना रहे हैं। इंडस्ट्री से लगातार बातचीत चल रही है। छात्रों को रेडी टू जॉब के लिए भी तैयार किया जा रहा है।