Dainik Bhaskar
Dec 12, 2018, 02:10 PM ISTभोपाल . एग्जिट पोल्स यानी नतीजों की स्थिति स्पष्ट दिखे। लेकिन यह लोगों में संदेह ज्यादा पैदा करते हैं। एग्जिट पोल में विजेता की भविष्यवाणी तो सही दिखती है, लेकिन सीटों की संख्या में इनके अनुमान 60% तक गलत होते हैं। पिछले पांच साल में लोकसभा समेत 28 राज्यों में चुनाव हुए।
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इस दौरान करीब 350 एग्जिट पोल्स हुए। बचे हुए 40% पोल्स, जीती गई सीटों की संख्या के आसपास तो पहुंचते हैं लेकिन सटीकता का अंतर 10-25 फीसदी तक रहता है। अगर यह 5 प्रतिशत भी हो तो उसे पूर्ण सटीक मान सकते थे। बड़ा उदाहरण पंजाब का चुनाव था जहां आप की जीत बताई जा रही थी, पर अंत में हुआ विपरीत।
सीटों के सटीक अनुमान में 28 राज्यों के एग्जिट पोल्स नाकाम रहे
2017 में हुए गुजरात चुनाव में सभी पोल्स ने भाजपा को पूर्ण बहुमत का अनुमान जताया था, लेकिन सीटों की सही संख्या नहीं बता पाए। सभी का औसत देखें तो भाजपा को 65% सीटें जीतनी चाहिए थीं, लेकिन भाजपा को 2012 की तुलना में 13% सीटें कम मिलीं। 2015 में बिहार चुनावों में 70% पोल्स ने भाजपा की सरकार बनाने का दावा किया था लेकिन वहां हुआ एकदम विपरीत। जदयू, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन ने पूर्ण बहुमत हासिल किया। एग्जिट पोल्स और असल नतीजों में जमीन-आसमान का अंतर था।
2013: 60% गलत
मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ और राजस्थान
2014 लोकसभा 87.64% सही
सटीक सीटों की संख्या को लेकर
2014 56.25% गलत
हरियाणा, महाराष्ट्र कश्मीर और झारखंड
2015 66.87%गलत
दिल्ली चुनाव और बिहार चुनाव