जम्मू-कश्मीर में बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज:ट्रायल में शामिल हुए रेल मंत्री; मई तक बन जाएगा देश का पहला केबल रेलवे ब्रिज
जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज बनकर तैयार हो गया है। रविवार को इस ब्रिज पर ट्राॅली कार चला कर ट्रायल किया गया। इस दौरान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे।
इसके अलावा जम्मू-कश्मीर की अंजी नदी पर बन रहे भारत के पहले केबल रेलवे ब्रिज का काम भी पूरा होने वाला है। उत्तरी रेलवे के मुताबिक मई तक इस ब्रिज का काम पूरा हो जाएगा।
ये दोनों पुल ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला-रेल लिंक प्रोजेक्ट (USBRL) का हिस्सा हैं। ये प्रोजेक्ट अगले साल तक पूरा हो जाएगा। ये प्रोजेक्ट पूरा होने पर कश्मीर घाटी देश के मुख्य रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगी।
एफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा है चिनाब ब्रिज
चिनाब नदी पर बने चिनाब ब्रिज की नदी के तल से ऊंचाई 1,315 मीटर है। ये एक आर्क ब्रिज है और एफिल टावर से भी 35 मीटर ऊंचा है। ये दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है।
चिनाब ब्रिज को रियासी जिले में बक्कल से कौड़ी के बीच बनाया गया है। इसकी लागत 14 सौ करोड़ रुपए है। इस ब्रिज के तेज हवा, ज्यादा तापमान और भूकंप की आशंका से जुड़े टेस्ट किए जा चुके हैं। अधिकारियों के मुताबिक, इसकी उम्र 120 साल होगी और ये 260 किमी तक की हवाओं को झेलने में सक्षम होगा।
उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला-रेल लिंक प्रोजेक्ट के पूरे होने के बाद इस ब्रिज पर वंदे भारत और वंदे मेट्रो ट्रेन भी दौड़ेगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ये ट्रेन जम्मू से कश्मीर के बीच चलेगी।
रियासी को कटरा से जोड़ेगा अंजी पुल
उधर, अंंजी नदी पर देश का पहला केबल रेलवे ब्रिज भी बनाया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में बन रहा ये पुल रियासी को कटरा से जोड़ेगा। इसकी चिनाब ब्रिज से दूरी महज 7 किलोमीटर है।
इस पुल की कुल लंबाई 725.5 मीटर है। इसमें से 472.25 मीटर का हिस्सा केबल्स पर टिका हुआ है। इस ब्रिज को 4 हिस्सों में बांटकर बनाया गया है। इस पुल के बीच में बने टावर की नदी के तल से ऊंचाई 331 मीटर है।
ब्रिज का बीच का हिस्सा 290 मीटर का है, जिसमें से 52.5 मीटर का काम बचा हुआ है। इसके 47 में से 41 हिस्से पूरे हो चुके हैं, वहीं 6 हिस्से बाकी हैं। अधिकारियों को उम्मीद है कि है मई तक इसका काम पूरा हो जाएगा।
213 किमी/घंटे की हवाओं को झेल लेगा अंजी पुल
अंजी ब्रिज 213 किमी/घंटा तक की हवाओं को झेल सकेगा। इस पर ट्रेन 100 किमी/घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी। हालांकि अगर 90 किमी/घंटे से ज्यादा की रफ्तार से हवा चलेगी तो ट्रेन रोकनी पड़ेगी।
इस पुल की उम्र भी 120 साल होगी। ये 40 किलो विस्फोटक का धमाका झेल सकेगा। इसमें बीच-बीच में सेंसर लगाए जाएंगे जो किसी भी तरह की गड़बड़ी को पकड़ सकेंगे। इसके अलावा भूकम्प में भी इस पुल का कुछ नहीं बिगडे़गा।