फाइल फोटोः एक बैठक के लिए जाते वित्त मंत्री अरुण जेटली।
नई दिल्ली. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को मोदी सरकार का पहला
बजट पेश किया। सामान्यत: बजट बनाने का काम
हर साल बजट पेश करने के सात महीने पहले शुरू होता है। बजट निर्माण प्रक्रिया के सामान्यत: पांच चरण हैं। प्रथम चरण में बजट की रूपरेखा बनाई जाती है। दूसरे में इसका दस्तावेज तैयार किया जाता है। तीसरे चरण में इसे संसद में स्वीकृति के लिए लाया जाता है। चौथे चरण में बजट का क्रियान्वयन तथा पांचवें चरण में वित्त कोषों का लेखांकन तथा परीक्षण होता है।
बजट केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों का आईना है। इसके जरिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार का एक कोर ग्रुप आर्थिक नीतियां तय करता है। इस कोर ग्रुप में प्रधानमंत्री के अलावा वित्त मंत्री, वित्त मंत्रालय के अधिकारी और योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहते हैं। वित्त मंत्रालय की ओर से प्रशासनिक स्तर पर जो अधिकारी होते हैं, उनमें वित्त सचिव के अलावा राजस्व सचिव और व्यय सचिव शामिल होते हैं। यह कोर ग्रुप वित्त मंत्रालय के सलाहकारों के नियमित संपर्क में रहता है। सरकारें अपने हिसाब से इस कोर ग्रुप का ढांचा बदलती भी रहती हैं।
मोदी सरकार के पहले बजट के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करेंपहला चरण: बजट की रूपरेखा बनाने में योजना आयोग, नियंत्रक महालेखा परीक्षक व प्रशासनिक मंत्रालयों की मदद ली जाती है। प्रत्येक मंत्रालय अपनी आवश्यकताओं की जानकारी वित्त मंत्रालय को देता है। योजना आयोग सरकारी योजनाओं की प्राथमिकताओं से वित्त मंत्री को अवगत कराता है और नियंत्रक लेखा परीक्षक लेखा-जोखा उपलब्ध कराता है।
योजना आयोग और नियंत्रक लेखा परीक्षक की रिपोर्ट को ध्यान में रखकर बजट बनाने के पहले चरण में व्ययों के अनुमान तैयार किए जाते हैं। इसके बाद मंत्रालय (वित्त मंत्री तथा उनका मंत्रालय) सरकारी आय-व्यय अथवा राजस्व के अनुमान तैयार करता है। वित्त मंत्रालय इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, कस्टम ड्यूटी डिपार्टमेंट तथा सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट से पिछले वित्त वर्ष में संग्रह की गई राशि के आंकड़ों को आधार बना कर यह अनुमान तैयार करता है। इन आंकड़ों के आधार पर संभावित आय का अनुमान लगाया जाता है। अब इसी अनुमान के आधार पर टैक्स तय करने (आगामी वर्ष के लिए) का प्रस्ताव तैयार किया जाता है।
दूसरा चरण: बजट बनाने की प्रक्रिया के दूसरे चरण में सभी विभागों की मांगों को वित्तीय परिषद् की बैठक में रखा जाता है तथा निर्णय लिया जाता है। फिर इन्हें दो अलग-अलग भागों - आय और व्यय - में रखा जाता है। यह बजट दस्तावेज कहलाता है। यही दस्तावेज वित्त विधेयक भी कहलाता है। इसे वित्त मंत्री संसद में पेश करते हैं। वित्त विधेयक में नए टैक्सों का लेखा-जोखा होता है। अब बजट स्थायी समिति को सुपुर्द कर दिया जाता है। सदस्यगण इस पर लगभग एक माह तक विचार करते हैं। फिर संसद में बजट पर वाद-विवाद होता है। इस बीच संसद में न तो कोई प्रस्ताव पेश किया जाता है और न मतदान कराया जाता है।
बैठकें और समन्वय
बजट पर वित्त मंत्रालय की नियमित बैठकें होती हैं। इनमें वित्त सचिव, राजस्व सचिव, व्यय सचिव, बैंकिंग सचिव, संयुक्त सचिव (बजट) के अलावा केंद्रीय सीमा एवं उत्पाद शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष हिस्सा लेते हैं। बजट पर वित्त मंत्री को योजनाओं और खर्चों के मिलने वाले सुझाव वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग को भेज दिए जाते हैं, जबकि टैक्स से जुड़े सारे सुझाव वित्त मंत्रालय की टैक्स रिसर्च यूनिट (टीआरयू) को भेजे जाते हैं। इस यूनिट का प्रमुख एक संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी होता है। प्रस्तावों और सुझावों के अध्ययन के बाद यह यूनिट कोर ग्रुप को अपनी सिफारिशें भेजती है।
बजट बनाने से सबंधित पूरी प्रक्रिया का समन्वय वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी के जिम्मे होता है। बजट के निर्माण से लेकर बैठकों का समय तय करने और बजट की छपाई तक, सब काम इसी अधिकारी के जरिए होते हैं।
गोपनीयता
बजट निर्माण की प्रक्रिया को इतना गोपनीय रखा जाता है कि संसद में पेश होने तक इसकी किसी को भनक भी नहीं लग पाती। वित्त मंत्रालय दो दिन पहले पूरी तरह सील कर दिया जाता है। वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक स्थित दफ्तर को बजट पेश होने के कुछ दिनों पहले से एक अघोषित 'क़ैदखाने' में तब्दील कर दिया जाता है। बजट की छपाई से जुड़े कुछ कर्मचारियों को यहां पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों के कड़े पहरे में दिन-रात रहना होता है। बजट के दो दिन पहले तो नॉर्थ ब्लॉक में वित्त मंत्रालय का हिस्सा पूरी तरह सील कर दिया जाता है। यह सब वित्त मंत्री के बजट भाषण के पूरा होने और वित्त विधेयक के रखे जाने के बाद ही समाप्त होता है। बजट की प्रिंटिंग के लिए वित्त मंत्रालय के 100 से ज्यादा अधिकारी पिछले कुछ दिनों से नॉर्थ ब्लॉक स्थित बजट प्रेस में दिन-रात काम कर रहे थे।
वित्त मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि बजट तैयार करने के दौरान इन अधिकारियों ने कुल मिलाकर आठ रातें और नौ दिन बाहरी दुनिया से कटकर बिताए। जानते हैं इन अधिकारियों के बारे में :