• Hindi News
  • Suprme Court Right To Reject Option For Votors

मतदाताओं को दीजिए 'राइट टू रिजेक्‍ट' का विकल्‍प: सुप्रीम कोर्ट

10 वर्ष पहले
  • कॉपी लिंक

नई दिल्‍ली. सुप्रीम कोर्ट ने एक और बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने मतदाताओं को 'राइट टू रिजेक्‍ट' देने के लिए सरकार से कहा है। यानी वोटर चाहे तो वह किसी भी उम्‍मीदवार को नहीं चुनने का विकल्‍प चुन सकता है। इसके लिए ईवीएम में 'किसी को नहीं' का विकल्‍प जोड़े जाने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र का मतलब है जनता की पसंद।उम्‍मीदवार को रिजेक्‍ट करने का अधिकार आम आदमी की अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता के लिए बेहद अहम है।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय आया है जब केद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला अध्‍यादेश के जरिए पलट दिया है। यह फैसला दागी सांसदों के मुद्दे पर था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार अध्यादेश ले लाई। यह अध्यादेश कैबिनेट की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति की अदालत में है। हालांकि, कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि इस अध्‍यादेश को फाड़ कर फेंक देना चाहिए

आगे ये हो सकता है:
सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले को पलटने के लिए भी सरकार अध्‍यादेश ला सकती है। अगर सरकार इसे लागू करने पर भी राजी होती है तो इसके लिए संविधान में संशोधन करने की जरूरत पड़ेगी। अगर सरकार इसके लिए राजी होती तो अन्‍ना के आंदोलन के समय ही इस पर कदम उठा लेती। यही नहीं, चुनाव आयोग भी 2011 में सरकार को राइट टू रिजेक्‍ट देने का सुझाव दे चुका है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते सरकार जनता को यह अधिकार देने पर राजी हो भी गई तो संविधान संशोधन विधेयक पारित करवाने के लिए उसे दूसरे दलों के समर्थन की दरकार होगी। वैसे, लगता नहीं कि सरकार इस पर अमल के लिए तत्‍पर है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस नेता राशिद अल्‍वी ने प्रतिक्रिया देते हुए इसके संकेत भी दे दिए। उन्‍होंने कहा, : हम इस फैसले का सम्‍मान करते हैं। हम हर कोर्ट के हर फैसले का सम्‍मान करते हैं, लेकिन हमें इसके नतीजों पर विचार करना होगा और सभी राजनीतिक दलों को मिलकर इस मुद्दे पर बात करनी होगी।
इन परिस्थितियों में सरकार के सामने ये विकल्‍प हैं-
संसद के जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दे या लागू करा दे
अध्‍यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्‍प्रभावी कर दे
सर्वसम्‍मति के नाम पर मामले को लटका कर रखे
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ताजा प्रतिक्रियाएं:
* बलबीर पुंज: लोकतंत्र में वोटर ही असली बॉस है और उसे खुद को एक्‍सप्रेस करने के लिए जितने भी अधिकार दिए जाएं, हम उनका स्‍वागत करते हैं।
* संजय पारेख, वकील (सुप्रीम कोर्ट) : सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला राजनीतिक पार्टियों के लिए स्‍पष्‍ट संदेश है। देश की जनता गुड गवर्नेंस चाहती है और 'राइट टू * रिजेक्‍ट' से राजनीतिक दल उम्‍मीदवार चुनने से पहले सोचेंगे।
* अनुपम खेर: यह समय अन्‍ना हजारे को याद करने का है, जिन्‍होंने राइट टू रिजेक्‍ट की मांग उठाई की थी, जय हो....
* अरविंद केजरीवाल: यह फैसला 'राइट टू रिजेक्‍ट' की दिशा में पहला ठोस कदम है।
* अन्‍ना हजारे: हमारा संघर्ष सिर्फ जनलोकपाल तक नहीं है, हम 'राइट टू रिजेक्‍ट' और 'राइट टू रिकॉल' के लिए भी जंग लड़ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे।
* राशिद अल्‍वी: हम इस फैसले का सम्‍मान करते हैं। हम हर कोर्ट के हर फैसले का सम्‍मान करते हैं, लेकिन हमें इसके नतीजों पर विचार करना होगा और सभी राजनीतिक दलों को मिलकर इस मुद्दे पर बात करनी होगी।
बीते 24 घंटे की अहम खबरें