नई दिल्ली. हरियाणा के बहुचर्चित जेबीटी टीचर भर्ती घोटाला मामले में बचाव पक्ष की तरफ से पेश हुए पहले गवाह ने ही विशेष सीबीआई अदालत को बताया कि मामले में आरोपी और जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी रहे राजेंद्र दहिया पर टीचरों की अवार्ड लिस्ट तैयार करने का दबाव बनाया गया था। दिल्ली के हरियाणा भवन में हुई मीटिंग में उन पर राज्य के प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने दबाव डाला था। यह बात दहिया ने ही उन्हें खुद बताई थी। डाईरेक्टर, प्राईमरी एजुकेशन ने उनसे यह भी कहा था कि ऐसा न करने पर उन्हें पेंशनेरी लाभ नहीं मिलेंगे तथा उनके परिवार को भी भुगतना पड़ेगा।
रोहिणी जिला अदालत के सीबीआई स्पेशल जज विनोद कुमार के समक्ष बचाव पक्ष की पहली गवाह शशि मेहता ने बताया कि वर्ष २००० में वह सोनीपत के जिला शिक्षा कार्यालय में बतौर जिला संगठन आयुक्तश, स्काउट तैनात थीं। वर्ष २००० सितंबर के पहले सप्ताह में वे राजेंद्र दहिया और मामले के दो अन्य आरोपियों के साथ दिल्ली आईं थीं। इन लोगों ने उन्हें आईटीओ स्थित एनएचक्यूव स्काउट कार्यालय छोडा। दहिया और अन्य सहयोगी हरियाणा भवन चले गए थे। काम खत्म होने पर वे वापस साथ जाने के लिए हरियाणा भवन पहुंची। इस वक्त दहिया अन्य अधिकारियों के साथ मीटिंग में थे। जब वे मीटिंग से बाहर आए, तो वे काफी परेशान थे और उनकी आंख में आंसू भी थे। उन्होने उस वक्त कुछ नहीं बताया। कुछ दिनों बाद वे परेशान अपनी कुर्सी पर बैठे अचानक गिर गए, जिससे वे चोटिल हो गए। उपचार के लिए उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। इसके कुछ दिनों बाद दहिया ने उन्हें बताया कि हरियाणा भवन में मीटिंग के दौरान प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने लिस्ट बनाने के लिए उन पर दबाव डाला था। लेकिन उन्होने ऐसा करने पर असहमति जताई थी। इस पर प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने उनसे कहा था कि ऐसा न करने पर उन्हें पेंशनेरी लाभ नही मिलेंगे और उनके परिवार को भी भुगतना पडेगा। इसी वजह से वे काफी परेशान देखे जा रहे थे। दहिया इस मामले में ५६ वें आरोपी बनाए गए हैं।
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