(फाइल फोटो- श्री मदभगवत गीता )
नई दिल्ली. केंद्र में पूर्ण बहुमत से की बनी बीजेपी सरकार के सामने संघ नेता एक एक कर अपना एजेंडा सामने लाने लगे हैं। इस बारे में ताजा मांग आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने की है। इंद्रेश ने सरकार से मांग की है कि यूपीए सरकार के दौरान आरएसएस और दूसरे हिंदू संगठनों के नेताओँ के खिलाफ दर्ज किए गए मामलों की समीक्षा की जाए। इंद्रेश ने कहा है कि यूपीए सरकार ने राजनीतिक द्वेष से संघ नेताओँ के खिलाफ ये मामले दर्ज कराए थे। दूसरी मांग दिल्ली वीएचपी( विश्व हिंदू परिषद) की तरफ से आई है जिसमें एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र और राज्य सरकारों से जल्द से जल्द गीता को राष्ट्रीय किताब घोषित करने और पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की है।
आरएसएस नेताओं पर दर्ज मामलों की हो समीक्षा-
आरएसएस नेताओँ की आए दिन सामने आ रही मांगों को देखकर लगने लगा है कि संघ ने अपने सांस्कृतिक एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है। आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने केंद्र सरकार से आतंक से जुड़े उन मामलों की जल्द समीक्षा करने की मांग की है, जिनमें संघ से जुड़े लोगों को आरोपी बनाया गया है। इंद्रेश का आरोप है कि पिछली यूपीए सरकार ने आरएसएस के तमाम नेताओँ को सियासी साजिश के तहत फंसाया था। गौरतलब है कि 2007 के हैदराबाद की मक्का मस्जिद में हुए धमाकों में इंद्रेश की संदिग्ध भूमिका को लेकर जांच एजेंसियां उनसे पूछताछ भी कर चुकी हैं। इंद्रेश कुमार का नाम आतंकवाद की घटनाओं में मक्का मस्जिद और मालेगांव ब्लास्ट में सामने आया था इसके अलावा उन्हें संघ प्रचारक सुनील जोशी का करीबी बताया जाता रहा है। हालांकि इंद्रेश का आरोप है कि कांग्रेस और यूपीए सरकार ने वोटों के खातिर आतंकवाद की घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की थी।
मीडिया की भूमिका पर भी उठाए सवाल-
पिछली यूपीए सरकार पर वोटों की खातिर जांच एजेंसियों की मदद से देशभक्तों का अपमान किए जाने के आरोप लगाने वाले इंद्रेश कुमार ने मीडिया पर भी सवालिया निशान लगाए हैं। इंद्रेश ने कहा है कि मीडिया आतंकी घटनाओं में आरोपी संघ से जुड़े नेताओं की असलियत ठीक तरह से जनता के सामने नहीं लाया, लिहाजा इन मामलों की निष्पक्ष जांच बेहद जरूरी है।
दिग्विजय सिंह ने साधा निशाना-
इस पूरे मामले पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार से इंद्रेश कुमार की ऐसी मांग पहले से अपेक्षित थी, दिग्विजय ने कहा कि वे एक सांप्रदायिक विचारधारा के व्यक्ति हैं और वर्तमान में केंद्र में जो सरकार है वो बंटवारे की राजनीति करती है।
आगे पढ़ें- दिल्ली वीएचपी की यूनिट ने की गीता को राष्ट्रीय किताब घोषित करने और पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की मांग।