शिमला. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की अवहेलना करने पर पीएमटी की काउंसलिंग करने वाले सदस्यों के विरुद्ध आपराधिक अवमानना का मामला चलाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश कुरियन जोसेफ और न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी की खंडपीठ ने शिवाली चौधरी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान ये आदेश जारी किए हैं।
याचिकाकर्ता के मुताबिक काउंसलिंग कमेटी ने प्रार्थियों को न्यायालय के आदेशों के बाद दिए गए दाखिले के आदेश को इस कारण रिव्यू किया क्योंकि हाईकोर्ट के समक्ष जो तथ्य पेश किए गए वो गलत थे।
इनसे मांगा जवाब
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने काउंसलिंग कमेटी के सदस्यों निदेशक चिकित्सा शिक्षा जयश्री शर्मा, इंदिरा गांधी मेडिकल के प्राधानाचार्या एसएस कौशल, प्रो. अशोक भारद्वाज, डॉ. आरपी लुथरा प्रधानाचार्य कॉलेज शिमला नरेंद्र अवस्थी, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक, अतिरिक्त निदेशक आईजीएमसी डीसी नेगी और सोलन के दंत चिकित्सा कॉलेज के प्रधानाचार्य भरथ भूषण को आपराधिक अवमानना नोटिस जारी कर दस दिनों के भीतर जवाब मांगा है।
क्या है मामला
काउंसलिंग के दौरान मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने ऑल इंडिया कोटा की एमबीबीएस की सीटों की गलत जानकारी दी। बताया जा रहा है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से उसी जानकारी के आधार पर दाखिले तय हुए।
25 जून को काउंसिल के बाद एमबीबीएस की सौ सीटों की तुलना में 102 बच्चों को दाखिला को मंजूरी मिली। ऑल इंडिया कोटा की राज्य में 15 सीटों में से 9 खाली थी और 11 बताई गई। जब जांच की गई तो अतिरिक्त दोनों छात्रों को कोर्स से बाहर कर दिया।
अब छह नवंबर को होगी सुनवाई
न्यायालय ने पाया कि काउंसलिंग कमेटी की बैठक बिना हाईकोर्ट के स्वीकृति लिए करवाई गई। जो अदालती आदेशों की अवमानना है। क्योंकि अब इन दोनों प्रार्थियों को एमबीबीएस कोर्स से बाहर किया गया है। हालांकि इन प्रार्थियों का स्पेशल केस मानते हुए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से इस बाबत स्पष्टीकरण मांगा। अब इस मामले की सुनवाई 6 नवंबर को होगी।
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