मुंबई। बांद्रा स्टेशन के पास स्थित रेलवे कॉलनी में एक लड़का रहता है - बबलू। मानसिक रूप से बीमार बबलू को जिस प्यार की जरूरत है उस प्यार को देने में न तो उसके परिवार वाले सक्षम हैं, ना ही डॉक्टर और ना ही उसके शिक्षक। सभी उसे एक मानसिक रोगी के तौर पर देखते हैं और उसके साथ वैसा ही बर्ताव भी करते हैं। लेकिन उसी रेलवे कॉलनी में वंदना नाम की एक लड़की है, जो बबलू को बिलकुल अलग नजर से देखती है। वह बबलू के साथ वैसा ही व्यवहार करती है जिसकी उसे बहुत जरूरत है।
वह उसकी नजरों से ही संसार दिखाती है। हर सुख-दुख की साथी बनती है। उसकी हर बात समझती है। वंदना देखने में काफी खूबसूरत है। इसलिए उसके पीछे कुछ और लड़के भी पड़े हैं। इसके अलावा कुछ और नकारात्मक पात्र रेलवे कॉलनी में रहते हैं जिन्हें वंदना और बबलू का साथ अच्छा नहीं लगता तथा रोड़ा बनने का काम करते हैं।
हम यहां बात कर रहे हैं रिषी वोहरा द्वारा लिखा गया पहला उपन्यास 'वन्स अपॉन द ट्रैक्स ऑफ मुंबई' की। बांद्रा रेलवे स्टेशन की ट्रैक्स और मध्यमवर्गीय रेलवे कॉलनी पर आधारित यह उपन्यास एक ऐसे लड़के की कहानी बयां करता है जो मानसिक रूप से बीमार है। उसे इस दुनिया में सिवाय वंदना के कोई भी ठीक तरह से नहीं समझ पाता, यहां तक कि उसके परिवार वाले भी। इसी दरम्यान दोनों के बीच प्यार हो जाता है। मध्यमवर्गीय परिवार को केंद्रित कर यह उपन्यास काफी बेहतरीन ढंग से लिखा गया है।
इसके लेखक रिषी वोहरा का इसके बारे में कहना है कि इसके पात्र बबलू और वंदना तो काल्पनिक हैं, लेकिन कहानी सच्ची घटना पर आधारित है। सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी से ग्रीन एमबीए और इन्वॉयरमेंटल लॉ में मास्टर्स डिप्लोमा कर चुके रिषी इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के एक सफल इंसान हैं। भारत के कई बड़े अखबारों में ये कॉलमनिस्ट भी रह चुके हैं। रिषी वोहरा ने उम्मीद जताई है कि पाठकों को यह उपन्यास काफी पसंद आएगा।
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किताब : वन्स अपॉन द ट्रैक्स ऑफ मुंबई
लेखक : रिषी वोहरा
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