जब देश अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था और आजादी के लिए जूझ रहा था, ठीक उसी दौर में एक शख्स देश में दूसरे ही आंदोलन को हवा दे रहा था.
यह आन्दोलन इंसानियत की आजादी का आंदोलन था, जिसका नेतृत्व कर रहे थे बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर. 1901 से 1950 के पांच दशकों में उन्होंने भारत में ही रहने वाले उन लोगों को आजादी दिलाने का बीड़ा उठाया, जिन्हें अछूत माना जाता था.
अपने ही देश में जिन्हें मंदिरों में जाने पर पाबंदी थी, जो धर्मग्रन्थ नहीं पढ़ सकते थे, जिनके लिए उच्च जाति के लोगों को छूना अपराध माना जाता था. ऐसे ही अछूत लोगों को एकजुट कर शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले पहले राष्ट्रीय नेता थे बाबा साहब अम्बेडकर.
ठीक आज के ही दिन 1891 में उनका जन्म हुआ था. नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (NFDC) ने इस महान नेता के जीवन से जुड़े और चौंका देने वाले तथ्यों पर आधारित एक फिल्म का निर्माण किया है. इस फिल्म में बाबा साहब के उन विचारों को भी जगह दी गई जो उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को चुनौती देते हुए कही थी.
अम्बेडकर जयंती के अवसर पर पेश है उस फिल्म का एक छोटा सा हिस्सा...
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