नई दिल्ली. अग्नि-5 मिसाइल का पहला परीक्षण अप्रैल के मध्य में किया जाएगा। पानी के भीतर से परमाणु हथियार दागने में सक्षम मिसाइल सेना में शामिल होने के अंतिम पड़ाव पर पहुंच गई है। यह घोषणा डीआरडीओ के प्रमुख डॉ विजय कुमार सारस्वत ने की।
पांच हजार किलोमीटर तक मार
उन्होंने कहा कि पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली परमाणु बैलेस्टिक मिसाइल 'के15' के दस से अधिक परीक्षण हो चुके हैं। अब यह सेना में शामिल होने की दहलीज पर है। उन्होंने कहा कि पांच हजार किलोमीटर तक मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का प्रक्षेपण अप्रैल के मध्य में किसी समय होगा।
तेजस होगा शामिल
उन्होंने कहा कि इस परीक्षण की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सभी अनुकूल परिस्थितियां देखकर इसके प्रक्षेपण की तारीख तय होगी। हल्के लड़ाकू विमान तेजस को वायु सेना में शामिल करने के बारे में डा. सारस्वत ने कहा कि इसकी आरंभिक अनुमति मिल चुकी है। नौसेना के लिए विकसित किए जा रहे एलसीए नेवी की पहली उड़ान होने वाली है। उन्होंने बताया कि भारत की परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत को जल्दी ही आपरेशनल किया जाएगा।
उपग्रहों की सुरक्षा पर वैज्ञानिकों का ध्यान
गौरतलब है कि अंतरिक्ष में भारतीय उपग्रहों की सुरक्षा पर देश के रक्षा वैज्ञानिक खास ध्यान दे रहे हैं। वे चाहते हैं कि भारत के पास ऐसे लघु और अति लघु उपग्रह हों जिन्हें कभी भी दागा जा सके।
उन्होंने कहा कि रक्षा टैक्नोलॉजी आयोग के गठन के लिए विभिन्न मंत्रालयों की अनुमति की जरूरत है। यह प्रक्रिया पूरी होने पर आयोग का गठन किया जाएगा। इसे अंतरिक्ष आयोग और परमाणु ऊर्जा आयोग जैसा ही अधिकार प्राप्त आयोग बनाने का निर्णय लिया गया है।
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