नई दिल्ली. 6-14 साल की उम्र के हर बच्चे को अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा का अधिकार देने वाले कानून (राइट टू एजुकेशन) को सुप्रीम कोर्ट ने आज हरी झंडी दिखा दी। निजी स्कूलों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट के आदेश के मुताबिक गुरुवार से ही देश के हर स्कूल में शिक्षा का अधिकार कानून लागू हो गया है। चीफ जस्टिस एसएच कपाड़िया, जस्टिस केएस राधाकृष्णन और जस्टिस स्वतंत्र कुमार की बेंच ने बहुमत से सुनाए फैसले में कहा कि यह कानून सरकार से वित्तीय सहायता नहीं ले रहे अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू नहीं होगा।
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत कमजोर वर्गों के बच्चों के लिए सभी सरकारी स्कूलों, वित्तीय सहायता प्राप्त और गैर-वित्तीय सहायता प्राइवेट स्कूलों में 25 फीसदी आरक्षण लागू हो गया है। इस बाध्यता से सिर्फ उन स्कूलों को राहत मिलेगी जो गैर सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं। इसी मामले में एक अन्य अहम मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि जन्म प्रमाण पत्र के बिना भी स्कूलों को बच्चों का दाखिला लेना होगा।
सरकार ने इस कानून को 2009 में ही लागू कर दिया था, लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने इसके खिलाफ याचिका दायर करके कहा था कि यह धारा 19 (1) के तहत कानून निजी शिक्षण संस्थानों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। उनका तर्क था कि धारा 19 (1) निजी संस्थानों को बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के अपना प्रबंधन करने की स्वायत्तता देता है। केंद्र सरकार ने इसके खिलाफ दलील दी कि यह कानून सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की उन्नति में सहायक है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.