नई दिल्ली. मानव संसाधन मंत्रालय को संसदीय समिति को जवाब देने में छूट रहा पसीना । शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून लागू हुए दो साल से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी शिक्षकों की नियुक्ति और ट्रेनिंग की सुस्त रफ्तार पर सवाल उठने लगे हैं। इस संबंध में संसदीय समिति के सवाल-जवाब मानव संसाधन विकास मंत्रालय को परेशान कर रहे हैं। मंत्रालय ऐसे में राज्यों की हीलाहवाली का वास्ता देकर पीछा छुड़ाना चाह रहा है। राजस्थान में 16 फीसदी, मध्यप्रदेश में करीब 13 फीसदी और अरुणाचल प्रदेश में करीब 29 फीसदी स्कूलों में एकल शिक्षक हैं। छत्तीसगढ़ में 33 हजार से ज्यादा अध्यापक बिना ट्रेनिंग के है जबकि बिहार में यह संख्या डेढ़ लाख से ज्यादा है। बिहार जैसे कुछ सूबों में अप्रशिक्षित अध्यापकों का मसला सियासी रंग लेता जा रहा है। केंद्र ने राज्यों को नसीहत दी है कि वे इस मामले में जल्द कदम उठाएं।
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