यह वीडियो फिल्म एक शादीशुदा औरत के अकेलेपन के बारे में है। इस पुरुष प्रधान समाज में भले ही महिलाओं द्वारा कंधे से कंधा मिलाकर चलने की बात कही जा रही हो, लेकिन यथास्थिति में बहुत बदलाव नहीं आ पाया है। आज भी यह माना जाता है कि महिलाओं का कर्तव्य किचन में खाना बनाना और बच्चों की देखभाल करना है। हमारे समाज में कई महिलाओं में उत्कृष्ट कौशल और क्षमताएं कूट-कूट कर भरी हैं। इसके बावजूद उन्हें घर में सिर्फ इसलिए रहना पड़ता है क्योंकि नौकरी करना मर्दों का काम माना जाता है। हम मानते हैं कि महिलाओं की स्थिति में पहले से बहुत ज्यादा सुधार आया है। पर सच यह भी है कि नजरिया नहीं बदला है।
इस लघु फिल्म में एक ऐसी महिला को दिखाया गया है जो अपना बहुमूल्य समय घर में बेकार बैठकर बीता रही है। हमें आशा है कि इस फिल्म को देखकर हमारे पुरुष प्रधान समाज में औरतों के प्रति नजरिया और साफ होगा। नौकरी करने वाले पति अपनी पत्नी के दर्द को समझ सकेंगे।
सुधि पाठकों, यह वीडियो फिल्म हमारे समाज की कड़वी सच्चाई को बयां कर रही है। चंद महिलाओं की सफलता को हमने आधी आबादी की सफलता मान लिया है। इस वीडियो को देखने के बाद यदि आप सचमुच इस दर्द को महसूस कर पा रहे हैं, तो इसे अपने मित्रों के साथ फेसबुक और ट्विटर पर साझा करें, ताकि अधिक से अधिक लोग इस हकीकत को समझ सकें।
वीडियो यूट्यूब से साभार
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