अजमेर.प्रदेश में निकट भविष्य में स्कूली स्तर पर ही स्टूडेंट्स को आवश्यक कानूनों और मानवाधिकारों के बारे में शिक्षा देने की शुरुआत हो सकेगी। माना जा रहा है कि इनके अध्ययन से प्रदेश के बच्चों में सामाजिक कर्तव्यों और दायित्वों के साथ ही अधिकारों के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी। जल्द ही राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर की कक्षाओं के कोर्स में इन विषयों से संबंधित पुस्तकें शामिल हो सकेंगी। राज्य सरकार के निर्देश पर इस दिशा में बोर्ड ने कवायद शुरू कर दी है।
तेजी से बदलते सामाजिक परिवेश, किशोरों की बढ़ती जिज्ञासा, उनकी आवश्यकताओं तथा किशोरों में शुरुआती दौर में ही कानूनों व अधिकारों की समझ पैदा करने के लिए राज्य सरकार के निर्देश पर बोर्ड के कोर्स में कुछ और स्टेडी मैटर को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
शिक्षा विभाग (ग्रुप-6) की ओर से बोर्ड को मिले निर्देशों के मुताबिक अब कोर्स में विधिक साक्षरता और मानवाधिकारों से संबंधित पुस्तकें भी शामिल की जाएं। राज्य सरकार की ओर से भेजी किताबें बोर्ड को मिल चुकी हैं। बोर्ड अब इन्हें कोर्स के सांचे में ढालने की कवायद कर रहा है।
इन कानूनों से परिचित होंगे स्टूडेंट
बोर्ड संभवतया माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर की कक्षाओं के लिए ये किताबें तैयार कर रहा है। विधिक साक्षरता के तहत भविष्य में पढ़ाई जाने वाली पुस्तक में स्टूडेंट किशोरों के अधिकार, महिला सशक्तीकरण से संबंधित कानून और नागरिकों के मूल अधिकार व कर्तव्य के साथ ही राष्ट्र ध्वज सम्मान समेत 31 आवश्यक कानूनों के बारे में जानकारी पा सकेंगे।
मानवाधिकार शिक्षा
कानूनों के साथ ही कोर्स में एक अलग पुस्तक मानवाधिकारों से संबंधित होगी। इस पुस्तक में स्टूडेंट्स को मानवाधिकार क्या है, इसका महत्व और संरक्षण आदि पर सरल भाषा में पाठ तैयार कराए जा रहे हैं। बोर्ड को मिली पुस्तक के अध्ययन के बाद अब इसको छात्र-छात्राओं के लिए उपयोगी बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
राज्य सरकार के निर्देश मिले हैं : शर्मा
'राज्य सरकार से विभिन्न कानून और मानवाधिकार से संबंधित पुस्तकें कोर्स में शामिल करने के निर्देश मिले हैं। बोर्ड की पाठ्यचर्या समिति में इन पुस्तकों को रखा जाएगा। समिति की हरी झंडी मिलने पर इन्हें कोर्स में शामिल किया जाएगा।'
मिरजूराम शर्मा, सचिव राज. मा. शिक्षा बोर्ड, अजमेर