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ग्रेड थर्ड शिक्षक भर्ती: विधवा अभ्यर्थियों को बीएड में छूट, नियुक्ति में नहीं

10 वर्ष पहले
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अजमेर.राज्य सरकार ने बीएड करने के लिए भले ही विधवाओं को 5 प्रतिशत अंकों की छूट दी हो लेकिन स्नातक स्तर की परीक्षा में उन्हें छूट नहीं दी गई। इस वजह से अजमेर सहित पूरे प्रदेश में करीब 500 विधवा अभ्यर्थी सरकारी नियुक्ति पाने से वंचित रह गईं। पंचायतीराज संस्था द्वारा आयोजित तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में राज्य सरकार ने भर्ती के लिए जारी विज्ञप्ति में शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक योग्यता में एससी, एसटी, ओबीसी, एसबीसी व नि:शक्तजन को स्नातक स्तर की परीक्षा में 5 प्रतिशत अंकों की छूट दी लेकिन विधवाओं को 5 प्रतिशत की छूट से वंचित रखा गया है। इस कारण परीक्षा में प्रदेश की कई विधवा अभ्यर्थी अपात्र घोषित हो गई। उनके पद होते हुए भी इन्हें सरकारी नौकरी से वंचित रहना पड़ा। इनमें से कई केबीए में 45 प्रतिशत नंबर ही थे। यदि उन्हें अंकों में 5 प्रतिशत की छूट मिलती तो उन्हें नौकरी मिल जाती। इससे पहले पीटीईटी में विधवाओं को 5 प्रतिशत अंकों की छूट दी गई थी। उसी आधार पर इन्हें बीएड में प्रवेश लेकर बीएड परीक्षा पास की थी। हालांकि उन्हें अन्य वर्ग की तरह शैक्षणिक योग्यता में 5 प्रतिशत की छूट नहीं दी गई। हमारा क्या कसूर? नौकरी से वंचित रही अभ्यर्थी सुनीता का कहना है कि जब भर्ती में शैक्षणिक योग्यता में एससी, एसटी, ओबीसी, एसबीसी व नि:शक्तजन को स्नातक में 5 प्रतिशत की छूट दी तो इस छूट का लाभ विधवाओं को भी देना चाहिए। अगर यह छूट नहीं देनी थी तो उन्हें पीटीईटी के दौरान ही 5 प्रतिशत की छूट नहीं देनी चाहिए थी। इससे उनके करीब 75 हजार रुपए भी खर्च हो गए और कोई नतीजा भी नहीं निकला। विधवाओं के पद होने के बावजूद वे नियुक्ति नहीं पा सकी। यदि उन्हें 5 प्रतिशत नंबरों की छूट दी जाती तो उन्हें भी सरकारी नौकरी मिल जाती। विधवाओं को छूट नहीं 'राज्य सरकार द्वारा तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए जारी विज्ञप्ति के मुताबिक मेरिट बनाकर अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। विज्ञप्ति में जिन वर्गो को छूट का लाभ दिया गया है, उन्हें दिया गया है। विज्ञप्ति में बिंदु संख्या 7 में शैक्षणिक/प्रशैक्षणिक योग्यता के बिंदु संख्या 2 (3) में विधवाओं को छूट नहीं दी गई है।' के.जी.सोमानी, लेखाधिकारी अंग्रेजी व सामाजिक अध्ययन में नहीं भरे पद अजमेर में अंग्रेजी विषय में एक व सामाजिक अध्ययन में दो पद विधवा अभ्यर्थियों से भरे जा सकते थे लेकिन पद होने के बावजूद ऐसी विधवा अभ्यर्थी नहीं थी जिनके 50 प्रतिशत नंबर हो, ऐसे में विधवा अभ्यर्थियों के नहीं मिलने से इन पदों को उसी वर्ग की महिलाओं से भरना पड़ गया। पहले दसवीं पास विधवा को भी नौकरी : इससे पहले वर्ष 2009 तक जिला परिषद द्वारा ही दसवीं पास विधवा महिला व परित्यागता को शिक्षक पद पर नौकरी दी जाती थी। नौकरी के लिए परीक्षा देने की जरूरत भी नहीं रहती थी। बल्कि विधवा या परित्यागता द्वारा आवेदन करने पर जिला परिषद की प्रशासन एवं स्थापना समिति द्वारा ही नौकरी दी जाती थी। सीधी नियुक्ति के बाद उन्हें तीन साल की मोहलत दी जाती थी कि वह एसटीसी या बीएड कर लें।