उदयपुर। झीलों के आसपास निर्माण को लेकर उदयपुर कलेक्टर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) खारिज कर दी गई। हाईकोर्ट द्वारा वर्ष 2007 में सुनाए गए फैसले के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। इस फैसले से झीलों के पास रहने वाले लोगों, होटल समूहों व अधिकारियों को झटका लगा है।
इसका मकसद झीलों के आसपास रहने वाले लोगों को राहत पहुंचाना था। लोगों को अब इस मामले में नगर निगम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई का इंतजार है। सूत्रों के अनुसार कलेक्टर की ओर से दायर एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि जोधपुर हाईकोर्ट ने करीब 6 साल पहले फैसला सुनाया था। उसे चुनौती देने की जो समय सीमा थी वह निकल चुकी है। यह याचिका पूर्व कलेक्टर विकास भाले ने दायर की थी।
दूसरी एसएलपी का क्या था मकसद
जोधपुर हाईकोर्ट ने राजेंद्र राजदान की याचिका पर 6 फरवरी 2007 को हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया था कि झीलों के आसपास निर्माण निषेध क्षेत्र में कोई नया निर्माण नहीं होना चाहिए। जिम्मेदार अफसर इस आदेश की पालना नहीं करवा पाए। इस पर राजदान ने हाइकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी थी।
हाईकोर्ट ने पिछले साल 27 सितंबर को 17 बिन्दुओं वाला आदेश सुनाया था। उसमें प्रमुख रूप से निर्माण निषेध क्षेत्र में अवैध निर्माण ध्वस्त करने, नो प्लास्टिक जोन, आयड़ को प्रदूषण मुक्त करना, झील विकास प्राधिकरण का गठन करना शामिल था। झीलों के आसपास रहने वाले कई सामान्य लोगों पर भी संकट आने पर राज्य सरकार ने गत 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी।
क्या होगा असर
एसएलपी खारिज होने से अब जिम्मेदारों को 6 फरवरी 2007 को जोधपुर हाईकोर्ट की ओर से सुनाए गए फैसले की पालना सख्ती से करनी होगी।
आगे क्या
जानकारों के अनुसार कलेक्टर की ओर से दायर एसएलपी खारिज के बाद याचिका पर पुनर्विचार करने या क्यूरिट याचिका दायर की जा सकती है।
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