भास्कर एक्सक्लूसिवजदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार:MP-MLA कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया, सरकारी काम में बाधा डालने का मामला

पटना8 महीने पहलेलेखक: अमित जायसवाल
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जदयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। पटना के MP-MLA सह ACJM-1 की कोर्ट ने जदयू नेता के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया है। यह वारंट IPC की धारा 353 यानी सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में जारी किया गया है। पढ़िए दैनिक भास्कर की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...

कोर्ट ने 29 अगस्त को ही गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था। मगर एक महीने बाद भी वैशाली पुलिस ने उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। इस मामले में MP-MLA कोर्ट ने 15 अक्टूबर को गैर-जमानती वारंट के तामील पर रिपोर्ट मांगी है। उपेंद्र कुशवाहा का घर वैशाली जिले के महनार थाना के जावज गांव में है। कोर्ट से जारी ननबेलवल वारंट को महनार थाना भेजा गया था।

यह है मामला, जिसमें गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है

यह पूरा मामला राजधानी के कोतवाली थाना में दर्ज FIR नंबर 91/19 से जुड़ा है। तब उपेंद्र कुशवाहा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। 2 फरवरी 2019 को इन्होंने अपनी पार्टी के तरफ से एक प्रदर्शन मार्च निकाला था। पटना के डाकबंगला चौराहा को जाम कर दिया था। इस को लेकर उपेंद्र कुशवाहा पर तोड़फोड़, रोड जाम और सरकारी काम में बाधा डालने का गंभीर आरोप लगा था।

इसके बाद उस दिन के मजिस्ट्रेट व शोध एवं प्रशिक्षण के सहायक अभियंता राम भजन साह के बयान पर कोतवाली थाना में FIR दर्ज हुई थी। इस केस को IPC की धारा 147, 148, 149, 188, 352, 341, 342, 323, 332, 353, 506 और 427 सहित IPC की कुल 12 धाराओें में दर्ज किया गया था। इस केस में उपेंद्र कुशवाहा और पार्टी के सदस्य अरविंद कुमार को नामजद किया गया था, जबकि, 250 से 300 लोग अज्ञात के रूप में शामिल किए गए थे।

एंटी सिपेट्री बेल मिलने के बाद भी नहीं हुए थे हाजिर

सूत्रों के मुताबिक इस केस में 8 महीने पहले उपेंद्र कुशवाहा को एंटी सिपेट्री बेल मिली थी। इसके लिए उनके वकील ने अपील दायर की थी, लेकिन इसके बाद भी वो कोर्ट में हाजिर नहीं हुए।

50 हजार जुर्माना भी नहीं भरा

हाजिर नहीं होने को लेकर उन्होंने वकील के जरिए कोर्ट से पेश होने के लिए वक्त मांगा। इस पर कोर्ट ने उनके वकील से सवाल पूछ दिया था कि तब से आप क्या कर रहे थे? जो 8 महीने बाद आए हैं? अपील करते हुए वकील ने कोर्ट से फिर भी टाइम मांगा। तब कोर्ट ने टाइम देने के एवज में 50 हजार रुपए का जुर्माना उपेंद्र कुशवाहा पर लगाया था, लेकिन जुर्माना की रकम को भी इन्होंने जमा नहीं किया था।

1985 में रखा था राजनीति में कदम

उपेंद्र कुशवाहा ने 1985 में राजनीति की दुनिया में पहली बार कदम रखा था। 1985 से 1988 तक वे युवा लोकदल के राज्य महासचिव रहे। 1988 से 1993 तक राष्ट्रीय महासचिव रहे। 1994 में समता पार्टी के महासचिव बने और 2002 तक इसी पद पर वे बने रहे। साल 2000 में पहली बार जंदाहा से विधानसभा का चुनाव लड़े और विधायक बने। उस दरम्यान उन्हें विधानसभा का उप नेता भी बनाया गया था। नीतीश कुमार के साथ जदयू के लिए काम करते रहे। बाद में इन्होंने बगावत का बिगुल फूंक दिया था। फिर ये जदयू छोड़ कर चले गए।

जदयू से अलग होने के बाद सबसे पहले इन्होंने 'नव निर्माण मंच' नाम से पार्टी बनाया था। इसके बाद वो शरद पवार की पार्टी NCP में चले गए थे। फिर 3 मार्च 2013 को राष्ट्रीय लोक समर्ता पार्टी (RLSP) नाम से नया राजतनीतिक दल बनाया। 8 साल के सफर के बाद 14 मार्च 2021 को अपनी पार्टी का इन्होंने जदयू में विलय कर दिया। उपेंद्र कुशवाहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ हो गए, जिनका वो लगातार विरोध कर रहे थे।

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