5 रिपोर्टरों ने 10 बार कांवरिया पथ और घाटों का लिया जायजा

27 जून को अगुवानी सुल्तानगंज घाट पर कोई काम शुरू नहीं हुआ था। वहीं कामराय से इनारावरण तक बालू डालने का काम भी शुरू नहीं किया गया था। शौचालय व सरकारी धर्मशाला के रंग-रोगन जरूर शुरू हुए थे।

3 जुलाई को भी अगुवानी-सुल्तानगंज घाट पर घाट की स्थिति वैसी ही रही। घाट और पानी के बीच करीब 10 फीट से ज्यादा का फासला रहा होगा। तब श्रद्धालु व आम लोग किसी तरह नीचे उतर कर जल भरने का काम कर रहे थे।

6 जुलाई को सुल्तानगंज घाट पर जेसीबी से घाट के समतलीकरण का काम शुरू हुआ, लेकिन यह नदी के जलस्तर और घाट के बीच की दूरी पाटने के लिए काफी नहीं था। यहां जियो बैग डालने का काम शुरू नहीं किया गया।

7 जुलाई को सुल्तानगंज के जहाज घाट पर बैरिकेडिंग की तैयारी की जा रही थी। 45 मजदूर जियो बैग डालने और घाट को समतल करने में लगे थे। वहीं सीढ़ी घाट में अब तक किसी तरह का काम शुरू नहीं किया गया है। लोग यहां खतरों के बीच स्नान कर जल भर रहे थे। वहीं रविवार को हुई बारिश और मिट्टी के समतलीयकरण से घाट पर कांवरिया पथ बुरी तरह कीचड़मय हो गया है।