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फॉल आर्मी वर्म कीट प्रबंधन को लेकर प्रखंडों से मांगी मक्के की खेती की रिपोर्ट, बचाव के लिए होगा प्रबंधन

4 वर्ष पहले
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आसपास के जिलों में फॉल आर्मी वर्म कीट के प्रभाव को देखते हुए जिले में भी इसकी तैयारी की जा रही है। इसके लिए सभी प्रखंडों से खरीफ एवं रबी मौसम में मक्का अाच्छादन की रिपोर्ट मांगी गयी है। वर्ष 2019-20 में खरीफ में कितना मक्का और रबी की रिपोर्ट सभी प्रखंड से ली जा रही है। ताकि फॉल आर्मी वर्म से बचाव के लिए अभी से ही प्रबंधन किया जा सके। पौधा संरक्षण के सहायक निदेशक सतीश कुमार ने कहा कि फॉल आर्मी वर्म सबसे ज्यादा मक्का की खेती को प्रभावित करता है। जिस खेत में इसका प्रभाव होता है उसे पूरी तरह बर्बाद कर देता है। इसके अलावा धान व अन्य फसल को अपना आहार बनाता है। हालांकि अभी तक नालंदा में इसका प्रभाव नहीं देखा गया है लेकिन आस-पास के जिलों से इसके प्रभाव की सूचना मिली है।

नए कीटों पर होगी विशेष नजर

सहायक निदेशक ने बताया कि मौसम के प्रतिकूलता के कारण इस मौसम में कीट व्याधी बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही कुछ प्रकार के कीट का भी प्रकोप बढ़ने की संभावना रहती है। ऐसे में किसानों को जानकारी देने एवं नए कीटों को तलाशने के लिए सर्वे टीम गठित किया गया है। सर्वेक्षण के दौरान विशेष प्रकार के कीट मिलने पर उसके आकार, प्रकार एवं रंग के बारे में जनकारी उपलब्ध कर विभाग को रिपोर्ट देंगे।

सहायक निदेशक ने बताया कि फॉल आर्मी वर्म कीट प्रबंधन के लिए पंचायत से जिला स्तर तक कार्य समिति का गठन किया गया है। प्रत्येक माह बैठक करने की तिथी निर्धारित की गई है। उन्होंने बताया कि सबसे पहले प्रत्येक माह की 10 तारीख को पंचायत स्तर पर कार्य समिति की बैठक होगी। जिसकी अध्यक्षता मुखिया करेंगे। इसमें सदस्य के रूप में बीएओ, कॉआेर्डिनेटर सलाहकार एवं स्थानीय समूह के सदस्य होंगे। बैठक में एक माह के दौरान किए गए सर्वेक्षण एवं प्रभावी क्षेत्रों का रिपोर्ट तैयार होगा जो प्रत्येक माह में 15 वीं तारीख को प्रखंड स्तरीय कार्य समिति की बैठक में दिया जाएगा। इस समिति में प्रमुख अध्यक्ष होंगे और बीडीओ, बीएओ, मुखिया एवं पौधा संरक्षण के प्रतिनिधि इसके सदस्य होंगे। इसके बाद प्रखंड स्तर पर तैयार किए गए रिपोर्ट जिला कार्य समिति को उपलब्ध कराया जाएगा। जहां कृषि एवं पौध संरक्षण के पदाधिकारी और कृषि वैज्ञानिक द्वारा इसपर विचार किया जाएगा और रिपोर्ट राज्य के सौंपा जाएगा। जिला कार्य समिति की बैठक प्रत्येक माह के 20 तारीख को होना है जिसकी अध्यक्षता जिप अध्यक्ष करेंगे और डीडीसी, डीएओ, कृषि वैज्ञानिक, पौधा संरक्षण के सहायक निदेशक इसके सदस्य होंगे।

फसल बचाने की पहल