‘हिंदू धर्म में विवाह एेसा बंधन जिसमें है पारस्परिक समर्पण’
साहित्यकार डॉ. राजनारायण राय ने कहा कि हिंदुओं में विवाह न सिर्फ शारीरिक बल्कि आत्मिक बंधन है। वर्षों से चली आ रही इस परंपरा से परिवार एकजुट रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा बंधन है, जिसमें पारस्परिक समर्पण है। इसी के कारण पारिवारिक संस्था की नींव डाली जाती है। डॉ. राय गुरुवार को एसकेजे लॉ कॉलेज में गुरुवार को हिंदू विवाह एक संस्कार है संविदा नहीं विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। संस्कृत विवि के पूर्व उप कुलपति डॉ. वीरेन्द्र कुमार ने हिंदू विवाह एवं पाश्चात्य देशों में प्रचलित विवाहों की तुलना करते हुए कहा कि इस विधि में एक सामाजिक बंधन है, न कि समझौतावादी एग्रीमेंट।
एमडीडीएम कॉलेज की प्राचार्या डॉ. ममता रानी ने हिंदू विवाह के सप्तपदी में दिए जाने वाले मार्मिक एवं व्यावहारिक वचनों का उल्लेख करते हुए कहा कि इसकी बुनियाद काफी मजबूत है। सेमिनार में सोनू कुमार एवं मो. कलीम आलम ने अपना पेपर प्रस्तुत किया। संचालन प्रो. राजीव कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. ब्रजमोहन आजाद ने किया। इस मौके पर प्रो. प्रभात किशोर, प्रो. पीके सदन, प्रो. पंकज कुमार, प्रो. एसपी चौधरी, प्रो. यूएस पांडे, प्रो. अर्चना अनुपम, प्रो. सीमा कुमार आदि मौजूद थे।
लॉ कालेज मंे आयोजित सेमिनार में उपस्थित लोग।
सिटी रिपोर्टर| मुजफ्फरपुर
साहित्यकार डॉ. राजनारायण राय ने कहा कि हिंदुओं में विवाह न सिर्फ शारीरिक बल्कि आत्मिक बंधन है। वर्षों से चली आ रही इस परंपरा से परिवार एकजुट रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा बंधन है, जिसमें पारस्परिक समर्पण है। इसी के कारण पारिवारिक संस्था की नींव डाली जाती है। डॉ. राय गुरुवार को एसकेजे लॉ कॉलेज में गुरुवार को हिंदू विवाह एक संस्कार है संविदा नहीं विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। संस्कृत विवि के पूर्व उप कुलपति डॉ. वीरेन्द्र कुमार ने हिंदू विवाह एवं पाश्चात्य देशों में प्रचलित विवाहों की तुलना करते हुए कहा कि इस विधि में एक सामाजिक बंधन है, न कि समझौतावादी एग्रीमेंट।
एमडीडीएम कॉलेज की प्राचार्या डॉ. ममता रानी ने हिंदू विवाह के सप्तपदी में दिए जाने वाले मार्मिक एवं व्यावहारिक वचनों का उल्लेख करते हुए कहा कि इसकी बुनियाद काफी मजबूत है। सेमिनार में सोनू कुमार एवं मो. कलीम आलम ने अपना पेपर प्रस्तुत किया। संचालन प्रो. राजीव कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. ब्रजमोहन आजाद ने किया। इस मौके पर प्रो. प्रभात किशोर, प्रो. पीके सदन, प्रो. पंकज कुमार, प्रो. एसपी चौधरी, प्रो. यूएस पांडे, प्रो. अर्चना अनुपम, प्रो. सीमा कुमार आदि मौजूद थे।
डॉ. ममता रानी अपनी बातें रखती हुईं।