पटना (राहुल पराशर). नगर निगम में शहर के ड्रेनेज नेटवर्क का नक्शा नहीं है। वह 2017 के बाद से गायब बताया जा रहा है। नक्शा नहीं होने के चलते निगम को न तो नालियों की सही-सही जानकारी है और न कैचपिट-मैनहोल की। किसी को मालूम नहीं, पानी किधर से निकलेगा।
निगम का कोई अधिकारी यह बताने की स्थिति में भी नहीं है कि शहर में ड्रेनेज कितने किलोमीटर में है। शहर के कुछ पॉश इलाकों के सात दिनों से डूबे रहने और लगभग हर मुहल्ले में जलभराव के संकट का मूल कारण यही है। आलम यह है कि जलनिकासी के लिए अंडरग्राउंड नालियों की तलाश में निगम वाले पानी की पाइप तक तोड़ दे रहे हैं।
नक्शा न होने के कई कारण गिनाए जा रहे हैं। सबसे बड़ा कारण है कि शहर में नालों का निर्माण किसी एक एजेंसी से नहीं, एनबीसीसी, शहरी विकास विभाग, सांसद-विधायक निधि, बुडको, बिहार राज्य जल पर्षद व नगर निगम के माध्यम से कराया गया। निगम के पास खुद निर्मित नालों का नक्शा था पर वह गायब है। अंडरग्राउंड ड्रेनेज तो नक्शा के कारण साफ नहीं किया जा सका, लेकिन ओपन ड्रेन को भी साफ नहीं कराया जा सका। इसपर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
आमने-सामने
मेयर ने कहा - बुडको के पास होगा नक्शा, हमने पुराने कर्मचारियों से साफ कराए नाले: नक्शा होने या न होने से ज्यादा अहम है संप हाउस का चलना। बुडको के तहत चलने वाले संप हाउस नहीं चल रहे हैं। इस कारण पानी रफ्तार से नहीं निकल पा रहा है। दिनकर गोलंबर, सैदपुर, रामपुर पंप हाउस की स्थिति सबसे खराब है। जहां तक ड्रेनेज नेटवर्क के नक्शे की बात है, पहले संप हाउस के परिचालन की जिम्मेदारी राज्य जल परिषद की थी। अब बुडको पर है। उन्हीं के पास नालों का नक्शा होना चाहिए। निगम के पुराने कर्मचारियों, जिन्हें ड्रेनेज नेटवर्क की जानकारी है, उन्हीं के निर्देशन में नालों की सफाई कराई गई।
नाले साफ करवाने का दावा करने वाले मंत्री बोले नाला उड़ाही में गड़बड़ी हुई है, जांच होगी: राजधानी में पांच दिनों से जलजमाव के कारणों का उच्चस्तरीय जांच कराएंगे। राजधानी को डुबोने के लिए दोषी पदाधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। नाला सफाई में कोताही बरती गई। नाला की उड़ाही के नाम पर खानापूर्ति की गई। शहर में ड्रेनेज नेटवर्क का नक्शा अगर निगम के पास नहीं है तो उसे बनवाने के लिए क्या उपाय किए गए? निगम के पास अपना बोर्ड है, सशक्त स्थायी समिति है। क्या कभी ड्रेनेज के नक्शे को लेकर कोई प्रस्ताव लाया गया? निगम को ड्रेनेज नेटवर्क का नक्शा बनवाना चाहिए। आरोप लगाने के लिए गलत नहीं बोलना चाहिए।
बड़े सवाल
ड्रेनेज का नक्शा नहीं तो नाला उड़ाही का बजट कैसे बना?
अगर निगम ड्रेनेज का नक्शा नहीं होने की बात कर रहा तो फिर ड्रेनेज सफाई का बजट उसने कैसे तय किया? छह करोड़ रुपए का बजट कहां खर्च हुआ?
2017 तक तो था नक्शा?
2017 तक शहर के ड्रेनेज नेटवर्क का नक्शा था। अब अगर गायब होने की बात कही जा रही है तो कुछ छिपाने की कोशिश तो नहीं हो रही है?
संप हाउसों की जांच क्यों नहीं?
पिछले दो-तीन सालों से संप हाउसों की स्थिति की जांच ही नहीं की गई। संप हाउस में कितने पंप चल रहे हैं, उसकी सही जानकारी भी निगम को नहीं है।
एजेंसियों पर ठीकरा कितना सही?
निगम प्रशासन कहता है कि नाला निर्माण कई एजेंसियां करती हैं। हमारे पास कैसे नक्शा होगा? यह कहना जिम्मेवारी से बचना है। जो निगम मकानों के नक्शे मंजूर करता हो वह यह कैसे कह सकता है। कि उसे ड्रेनेज नहीं मालूम?
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