राज्य सरकार अपने टोपो लैंड का पता लगाएगी। प्रदेश में सारे टोपो लैंड का सर्वेक्षण होगा। इसके लिए एक व्यापक नीति भी बनायी जाएगी। सरकार इसकी पहचान में जुटी है। पिछले दिनों राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से पूरे प्रदेश के समाहर्ताओं की इस संबंध में बैठक भी की गयी है। इसमें भी नीति बनाने को लेकर विस्तार से चर्चा की गयी।
इस समय टोपो लैंड को लेकर सरकार की परेशानी बढ़ी हुई है। इसके स्वामित्व को लेकर भी नयी समस्या उठ खड़ी हुई है। टोपो लैंड या फिर जिस जमीन का सर्वेक्षण नहीं हो सका है, वे सारी सरकारी जमीन मानी जाती है। पर, पूरे राज्य में बड़ी संख्या में ऐसी जमीन निजी हाथों में हैं। कई पर मकान तक बन चुके हैं। कई पर दशकों से खेती हो रही है। स्वामित्व को लेकर गुटों में आपसी टकराव भी होता रहता है। राज्य के एक दर्जन जिलों में असर्वेक्षित या टोपो लैंड की जानकारी सरकार को मिली है। हालांकि कई और जिलों में भी ऐसी जमीन होने की संभावना है। ऐसे में सरकार पूरे प्रदेश में ऐसी जमीन की पहचान कर आगे की कार्रवाई करना चाहती है। इस समय ऐसी जमीन की बड़े पैमाने पर खरीद-बिक्री की जा रही है। यही नहीं उनकी दाखिल-खारिज भी किया जा रहा है।
क्या है टोपो लैंड
अंग्रेज के समय में 1890 से 1920 के बीच राज्य में बड़ी संख्या में जमीन असर्वेक्षित रह गयी थी। यही नहीं नदियों के किनारे या बीच के जमीनी इलाके भी ऐसे रहे जिनका सर्वेक्षण नहीं हो सका। ये सारे टोपो लैंड हैं।