राज्य में परिवार नियोजन के बेहतर परिणाम हासिल करने एवं शिशु व प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर करने के उद्देश्य से वर्ष 2005 में बिहार जनसंख्या नीति बनाई गई। इस नीति के तहत वर्ष 2015 तक बिहार की कुल प्रजनन दर को 2.1 एवं वर्ष 2045 तक 1.6 पर लाने का लक्ष्य रखा गया। इसे लेकर सरकार द्वारा कई स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। इसमें परिवार नियोजन के कई सूचकांकों में सफलता भी मिली है। लेकिन, अब भी राज्य का कुल प्रजनन दर 3.2 है, इसलिए बिहार जनसंख्या नीति के संशोधन का फैसला लिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को बैठक हुई। उन्हाेंने बताया कि बीते कुछ वर्षों में परिवार नियोजन के परिणाम में सुधार हुअा है। पर अब भी राज्य की कुल प्रजनन दर 3.2 है, जिसे 2.1 तक लाना है। इसके लिए बिहार की वर्तमान जनसंख्या नीति में संशोधन की जरूरत है। बिहार में करीब 4.24 लाख महिलाओं ने अंतरा इंजेक्शन लगवाया है, जो पूरे देश में सर्वाधिक है। वर्ष 2017-18 की तुलना में 2018-19 में परिवार नियोजन में बढ़ोतरी भी देखी गई है। इसमें पुरुष नसबंदी, प्रसवोपरांत कॉपर टी का इस्तेमाल एवं अंतरा इंजेक्शन शामिल है।बिहार में लगभग 16.2 की उम्र में शादी, 19.2 कि उम्र में मां बनना एवं 5.5 वर्ष के अंतराल में 3 बच्चों को जन्म देना जैसे कारण परिवार नियोजन का लक्ष्य हासिल करने एवं कुल प्रजनन दर में कमी लाने में अवरोधक हैं। इसलिए भी बिहार के वर्तमान जनसंख्या नीति में संशोधन की जरूरत है।
उच्च प्रजनन दर वाले 146 में से बिहार के 37 जिले
भारत सरकार के सेवानिवृत्त स्वास्थ्य सचिव केशव देश राजू ने बताया कि बिहार जनसंख्या नीति में संशोधन के वक्त लक्ष्य निर्धारित करने की जरूरत है। इसके लिए जिलावार रणनीति बनाने की भी जरूरत होगी। पाॅपुलेशन फाउंडेशन अाॅफ इंडिया की कार्यपालक निदेशक पूनम मुतरेजा ने बताया कि बिहार में 10 से 24 साल की लगभग 30 प्रतिशत यानी 3.14 करोड़ आबादी है। मिशन परिवार विकास के तहत देश में चयनित उच्च प्रजनन दर वाले 146 जिलाें में बिहार के 37 जिले हैं।