गोकुल कृष्ण आश्रम स्थित जिला कांग्रेस कार्यालय में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की 135 वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जिला कांग्रेस कमेटी की ओर से आयोजित कार्यक्रम की अध्य्क्षता पार्टी जिलाध्यक्ष इंदु सिन्हा ने की। इस मौके पर उन्होंने राजेंद्र प्रसाद को याद करते हुए कहा कि राजेंद्र बाबू भारत स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में काम किया। राजेंद्र प्रसाद का राष्ट्रसेवा का ज़ज्बा एवं मातृभूमि के प्रति समर्पण युगों-युगों तक देशवासियों को प्रेरणा प्रदान करता रहेगा। देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशर| कहकर पुकारा जाता था।
कांग्रेस ज़िला प्रवक्ता एजाज अहमद ने बताया कि राजेंद्र बाबू पहले तो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका में रहे, लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने कभी भी अपने संवैधानिक अधिकारों में प्रधानमंत्री या कांग्रेस को दखलअंदाजी का मौका नहीं दिया। उन्होंने अपना काम स्वतंत्र और निष्पक्ष भाव से किया। अपने कार्य के प्रति समर्पित राजेन्द्र बाबू ने हमेशा ही कर्म को प्रधानता दी। असाधारण प्रतिभा के धनी श्री राजेंद्र प्रसाद की सरलता एवं नि:स्वार्थ भावना से राष्ट्र सेवा में समर्पण समस्त देशवासियों के लिए आदर्श है। इस मौक़े पर वरिष्ठ कांग्रेस उपाध्यक्ष गौरी शंकर सिंह, पवन साह, सुमित सिन्हा, मो. रफ़ीक, ललन कुमार, आलोक कुमार, बंटी पोद्दार, रूपेश कुमार, सुनील सिन्हा, मो. जमाल, बबलू कुमार, मो. अनीश एवम कई कांग्रेसी उपस्थित थे।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की पुण्यतिथि मनाते कांग्रेसी कार्यकर्ता।
राजेन्द्र बाल उद्यान स्थित प्रतिमा पर किया माल्यार्पण उनकी ईमानदारी और सादगी पर वक्ताओं ने की चर्चा
जिला कांग्रेस कमेटी के द्वारा मंगलवार को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पर राजेन्द्र बाल उद्यान स्थित डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनको याद किया गया। वक्ताओं में कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष रजंजन सिंह, उपाध्यक्ष गौरी शंकर सिंह एवं जिला महासचिव गौतम वर्मा ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के जीवनी उपर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे असाधारण प्रतिभा के प्रतिमूर्ति थे। ईमानदारी, सादगी और देश के प्रति समर्पित प्रेम उनकी महानता को दर्शाता है। संविधान सभा के अध्यक्ष के तौर पर उनकी भूमिका को हमेशा याद किया जाएगा। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद बिहार के सपूत थे और उन्हों ने एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उनके प्रतिभा देश के लिए एक मिसाल है। वक्ताओं ने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।
बाल उद्यान में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते कांग्रेसी।
सहयोग संस्था ने मनाई डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान पर की बात
सहयोग संस्था के तत्वावधान कार्यक्रम का आयोजन कर मंगलवार को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती मनाई गई। सहयोग के अध्यक्ष डॉ. अजीत प्रसाद सिंह ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के जीवनी उपर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह भारत के पहले राष्ट्रपति थे। कांग्रेस में शामिल होने वाले बिहार के वह प्रमुख नेताओं में से थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 1931 में सत्याग्रह आंदोलन और 1942 में हुए भारत छोड़ो आंदोलन के लिए महात्मा गांधी के साथ जेल भी जाना पड़ा था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद साल 1934 से 1935 तक कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। 1946 में हुए चुनाव के बाद उन्हें केंद्र सरकार में खाद्य एवं कृषि मंत्री बनाया गया था। उन्हें देश के सबसे बड़े पुरस्कार भारत र| से भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्थान के सदस्य विकास कुमार सिंह, राहुल कुमार शर्मा, डॉ राजेश गोस्वामी, हनी कुमार, मनीष कुमार, डॉ. सतीश कुमार ठाकुर, डॉ. आकाश कुमार, आशा कुमारी, बबीता गोस्वामी ने .योगदान दिया।