किसानों की दुर्दशा को सुधारने के लिए सरकार ने जनवरी 2019 के शुरुआत में ही बाजार समिति को पुनर्जीवित करने की निर्णय लिया था, लेकिन 9 महीना बीतने जा रहा है पर किसानों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से पुनर्जीवित किए गए बाजार समिति से कोई लाभ होता नही दिख रहा है। किसानों के हाथों के उत्पादन किए गए उनके अनाज अभी भी खुले बाजार में बिचौलियों के औने पौने दामों पर ही हाथों बेचा जा रहा है। जबकि वर्ष के शुरुआत में ही बिहार राज्य कृषि विपणन पार्षद ने डेढ़ दशक से बंद बाजार समिति को पुनर्जीवित करने के दिशा में बढ़ा दिया है। सुनसान पड़ी और रख रखाव के अभाव में जर्जर हो रहे गोदाम व बाजार शेड की हालत सुधारने की योजना है। विभाग के निर्णय से किसानों की किस्मत संवरने की उम्मीद जगी थी। विदित हो कि 13 साल पहले बाजार समिति को सरकार ने बंद कर दी थी। जिससे बिहार व देश के कई हिस्सों से आने वाले व्यापारियों को भी आना जाना बंद हो गया था। धान चावल के मंडी में बिक्रमगंज अनुमंडल का नटवार, व सासाराम बाजार समिति में दिल्ली, उतर प्रदेश, बंगाल, झारखंड, सिलीगुड़ी, हरियाणा, छतीसगढ़, सहित कई राज्यों से व्यापारी आते थे और चावल, धान, गेंहू, चना, मंसूर दूसरे राज्यों तक पहुंचाते थे।
बिचौलियों के हाथों औने-पौने दाम पर बेचने की मजबूरी
बाजार समिति नोखा की स्थिति।
दिसंबर 2018 में ही तैयार कर लिया गया था प्राक्कलन
बाजार समिति के तारणहार के लिए आधारभूत संरचना के निर्माण का अनुमानित प्राक्कलन प्रशासनिक स्वीकृति के लिए बिहार राज्य कृषि विपणन परिषद ने दिसंबर 2018 में ही तैयारी कर ली थी। जिसमें मुख्य रुप से प्रशासनिक भवन का निर्माण, बाजार समिति के चहारदीवारी निर्माण, पेयजल की व्यवस्था के लिए पानी टंकी, बिजली व्यवस्था, जल निकासी की व्यवस्था, किसान भवन का निर्माण, पीसीसी ढलाई से बाजार शेड व गोदाम तक वाहनों के पहुंचने के लिए पथ मार्ग बनाना व बाजार समिति के सौंदर्यीकरण करना मुख्य रुप से शामिल था। यदि बाजार समिति शुरु हो गई होती तो जिले की बाजार बढ़ जाती।
पहले विदेश जाता था यहां का अनाज
बाजार समिति से खरीद की गई अनाज पूर्व में व्यापरियों के माध्यम से बंदरगाह द्वारा विदेशों तक पहुंचती थी। तब किसानों की हालत बेहतर थी। राइस मिलर भी खुशहाल थे, लेकिन बाजार समिति बंद होने के बाद किसानों के साथ साथ राइस मिलरों की भी हालत दयनीय हो गई है। लोजपा के दिनारा का पूर्व प्रत्याशी अजीत राय कहते हैं कि बाजार समिति शुरु हो जाय तो अभी भी क्षेत्र के किसानों की हालत सुधर सकती है।
बाजार समिति में मिलती थी अनाज की सही कीमत
पूर्व में जब बाजार समिति चालू था तो रोहतास जिले के किसान अपनी अनाज को खुले बाजार में ले जाने की बजाय बाजार समिति में ले जाया करते थे। जहां उनके उत्पाद किए गए अनाज की सही कीमत मिल जाता था। किसानों को इसका सीधा- सीधा लाभ मिल जाता था। किसानों के मेहनत सार्थक होता था। रोहतास जिले के नटवार, नोखा, सासाराम बाजार समिति काफी पुराने रहे हैं। जहां किसान अपने अनाज को मंडी में लाते थे, पर वर्ष 2006 में सरकार ने बाजार समिति को बंद कर दिया था। जिसे शुरु करने की कोशिश पुनः एक बार 2018 में हुई। टैक्स के दायरे से बाहर कर दिए जाने के बाद किसानों को अपना अनाज खुले बाजारों में बेचना पड़ रहा है। जबकि पूर्व में बाजार समिति में किसान अपना अनाज बेचते थे। उनके लिए बाजार समिति ही विकल्प होता था। इसके लिए सरकार को टैक्स देना पड़ता था, लेकिन जैसे ही बाजार समिति को टैक्स से फ्री किया गया, किसानों की हालत बदतर होती चली गई।