एनीमिया एक गंभीर समस्या है जो शारीरिक एवं मानसिक क्षमता को प्रभावित करती है। बिहार की आधी आबादी एनीमिया से पीड़ित है। वर्ष 2015-16 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार बिहार में 6 से 59 माह के 63 प्रतिशत बच्चे, 60 प्रतिशत महिलाएं एवं गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रसित पाई गई। इसकी जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डाॅ. धनेश प्रसाद सिंह ने कहा कि इस बीमारी से पूरा जीवनचक्र प्रभावित होता है। बाल्यकाल में अायरन की कमी के कारण शारीरिक एवं मानसिक विकास में कमी हो जाती है। उन्होंने कहा कि बच्चों से बीमारी को दूर करने के लिए भारत सरकार, राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने एनीमिया मुक्त अभियान में बिहार के 17 जिलों को चिन्हित किया गया है, जिसमें शिवहर जिला भी शामिल है। इस अभियान के तहत 6 से 59 माह के शिशु, 5 से 9 वर्ष के बच्चे, 10 से 19 वर्ष के किशोरी-किशोरियाे, प्रजनन उम्र की महिलाएं, गर्भवती और धात्री महिलाएं, गर्भवती और धात्री महिलाओं में एनीमिया की रोकथाम के लिए आयरन फोलिक का अनुपूरण किया जाना है। इसके लिए 17 जुलाई से दो चरणों में अभियान चलाया जाएगा। प्रथम चरण में 10 से 19 वर्ष के स्कूल जाने वाले और नहीं जाने वाले बच्चों को सप्ताह में एक बार नीली आईएफए की गोली एवं गर्भवती और धात्री महिलाओं को लाल आईएफए की गोलियां दी जाएगी। द्वितीय चरण में अभियान के तहत 6 से 59 माह के शिशु को सप्ताह में दो बार तथा 5 से 9 वर्ष के बच्चों को सप्ताह में एक बार गुलाबी गोली देने की शुरुआत की जाएगी। 17 जुलाई से पहले जिला और प्रखंड स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित होंगे। जिसमें इस अभियान से जुड़े कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
एनीमिया कार्यक्रम की जानकारी देते सिविल सर्जन व अन्य लोग।