माैसम के अनुरुप वर्षा नहीं होने से किसान संकट में दिख रहे है। मानसून पिछले एक हफ्ते से अधिक समय से ललचा रहा है। ऐसा नहीं है कि बारिश नहीं होती। बारिश होती भी है तो हल्की। मौसम की बेरुखी के चलते अब धान की खेती पिछड़ने के कगार पर है। बारिश की कमी से क्षेत्रों में खरीफ की फसल पर गहरा असर पड़ सकता है। धान की रोपनी का महत्वपूर्ण समय चल रहा है। लेकिन किसान असहाय बने आसमान की तरफ देख रहे है। कृषि के जानकारों की मानें तो अगर सही समय पर रोपनी नहीं हुई तो खेती के पिछड़ने के साथ ही उत्पादन में भी कमी आएगी। जिले में बरसात न के बराबर होने से किसान चिंतित है। यही हाल रहा तो पानी की कमी से धान का बिचड़ा मुरझा जायगा। खरीफ की खेती के लिए लोग बेसब्री से बारिश का इंतजार कर रहे है। किसान सोनेलाल साह, महेंद्र सिंह, उपेंद्र प्रसाद व रंजीत प्रसाद ने बताया कि खेतों तक पानी पहुंच पाना बहुत ही कठिन काम हो गया है। जुलाई का महीना धान की फसल रोकने के लिए प्रमुख माना जाता है। यह माह भी शुरू हो चुका है। कई इलाकों में अभी भी धान का बिचड़ा डालने का काम भी चल रहा है। पानी की कमी से इस काम में भी बाधा आ रही है। किसानों को काफी मेहनत करना पड़ रहा है। खेतों में पहले से डाले गए बिचड़ा जिंदा रखने में पानी की आवश्यकता पड़ रही है। जिला कृषि पदाधिकारी अनिल कुमार यादव ने बताया कि धान की रोपनी अब तक शुरू हो जानी चाहिए। क्योंकि रोहिणी नक्षत्र समाप्त हो चुका है। आद्रा नक्षत्र की शुरुआत हो चुकी है। अभी 2 सप्ताह तक इंतजार किया जा सकता है। किसानों को धैर्य से काम लेना चाहिए। रोपनी करने में थोड़ी समझदारी दिखाने की आवश्यकता है।
रून्नीसैदपुर के एक खेत में लगा बिचड़ा।