मुख्यालय में 108 करोड़ की लागत से जल संसाधन विभाग के बनने वाले रिसर्च सेंटर के निर्माण का रास्ता अब साफ़ हो गया है। निर्माण के प्रथम चरण में 66 करोड़ की लागत से चिन्हित 20 एकड़ की जमीन में सबसे पहले बाउंड्री वाल का काम होगा। फिर प्रशासनिक भवन के साथ कोसी नदी के छह मॉडल केंद्र की स्थापना की जाएगी।
बाउंड्री वाल के भीतर एक बड़े वर्कशॉप का निर्माण किया जाएगा। वर्कशॉप में एक क्लास रूम भी होगा। इसमें नदी में आने वाले बालू का यानी रिवर मरफ़ॉलोजी का अध्ययन किया जाएगा। वहीं सबसे अंतिम और तीसरे वर्कशॉप में नदी में पानी छोड़कर तटबंधों पर पड़ने वाले दबाब का अध्ययन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक वर्कशॉप की स्थापना, सुरक्षा गार्ड के लिए कमरे, शौचालय एवं स्नानागार का निर्माण किया जाएगा। मुख्य अभियंता प्रकाश दास ने बताया कि टेंडरिंग की प्रक्रिया अंतिम चरण में चल रही है।
मामला दो वर्षों तक लटका रहा
108 करोड़ की लागत से बनने वाले इस रिसर्च सेन्टर की काफी दिनों से चर्चा चल रही थी। जिसके लिए जमीन अधिग्रहण कार्य भी पूरा कर लिया गया था। केवल निविदा की औपचारिकताएं शेष रह गई थी। इसके लिए राशि पूर्व में हीं विश्व बैंक द्वारा विमुक्त भी कर दी गई थी। निविदा की प्रक्रिया जलसंसाधन विभाग द्वारा शुरू की गई थी। एकल निविदा होने के कारण मामला दो वर्षों तक अधर में लटका रहा। इससे कुछ दिनों तक तैयार डीपीआर को लेकर भी उहापोह की स्थिति बनी रही। रिसर्च सेन्टर के लिए डीपीआर का निर्माण लाल मिट्टी पर किया गया था, जबकि वीरपुर का क्षेत्र बलुई मिट्टी का है।
प्रथम चरण में 66 करोड़ की निविदा
सरकार से स्वीकृति प्राप्त होने के बाद दो चरणों मे रिसर्च सेन्टर की प्रक्रिया अपनाई गई है। जिसमें प्रथम चरण में 66 करोड़ की निविदा आमंत्रण की गई। इस निविदा में भी एकल टेंडर के आने से काफी विचार विमर्श के बाद अहमदाबाद गुजरात की कंपनी चेवरोक्स इंफ्रास्ट्रक्चर को टेंडर देने की विभागीय सहमति हुई है। मुख्य अभियंता कार्यालय जल संसाधन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अहमदाबाद की चेवरोक्स इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी से वार्ता होने के बाद चेवरोक्स कंपनी के टेक्निकल बिट को स्वीकृति दे दी गई है।