1) दीपिका पादुकोण
दीपिका ने बचपन की मस्ती के बारे में बताते हुए कहा, 'होली का त्योहार मेरी यादों में बहुत सारे रंगों और खुशी से भरपूर रहा है। जब मैं इस त्योहार की अपनी मेमोरीज को याद करती हूं तो बस सब कुछ भूलकर मुझे जश्न ही याद रहता है। होली पर मिलने वाली गिफ्ट्स में सबसे इंपोर्टेंट पब्लिक हॉलिडे होती थी। उस दिन स्कूल नहीं हुआ करता था। चूंकि मैं बेंगलुरु के एक अपार्टमेंट में पली-बढ़ी हूं। मेरे वहां बहुत सारे दोस्त थे। तो हम सभी होली खेलने के लिए इकट्ठे हो जाया करते थे। मैं शुरू से ही ऐसी व्यक्ति रही हूं, जो हमेशा, साफ-सुथरा पसंद रही है और जिसे अपने कपड़ों को खराब करना पसंद नहीं है इसलिए होली आने के महीने-पन्द्रह दिन पहले अपने पुराने कपड़ों का सेट अलग रख लेती थी। रणवीर से शादी होेने के बाद भी मेरे लिए फेस्टिवल्स के मायने नहीं बदले हैं। जितना संभव हो, हम परिवार के साथ शहर में रहने की कोशिश करते हैं। शादी से पहले भी और अब भी, हमयही करते हैं। केवल एक चीज बदली है कि पहले मुख्य जश्न मेरे घर पर सेलिब्रेट किया जाता था, अब रणवीर और मैं हमारे खुद के घर में एक छोटी सी पूजा करते हैं और फिर अपने ससुराल जाते हैं जहां सभी फैमिली मेम्बर्स एक साथ उपस्थित होते हं। इस तरह से यह एक बड़ा सेलिब्रेशन बन जाता है। मेरे ससुराल वाले हमारे नजदीक ही रहते हैं तो इसी वजह से परिवार का एक इंपोर्टेंट हिस्सा हमेशा हमारे आसपास रहता है।'
किआरा ने कहा, 'मैं तो बचपन में बहुत ही गंदे तरीके से होली खेलती थी। जो भी हाथ में आता था उसे ही होली के हथियार के तौर पर यूज कर लेते थे। मुझे याद है कि हम अपने ग्रुप में अंडों से होली खेलते थे। साथियों को कीचड़ से भी रंग देते थे। मैं होली का अपना पूरा हुड़दंग निकालती थी। बिल्डिंग के दोस्तों और स्कूल के दोस्तों सभी को रंगकर आती थी। तब ऑर्गेनिक कलर तो हुआ नहीं करते थे तो इतना ज्यादा केयर करने का ख्याल ही नहीं आता था। बस मस्ती चढ़ी होती थी तो खूब खेलते थे। उन दिनों को बहुत मिस करती हूं। अब तो इस सब के लिए समय ही नहीं मिलता। इस बार तो होली के दौरान अपनी फिल्म "भूल भुलैया' के सेट पर हूं, तो शायद उसके सेट पर ही होली का हुड़दंग मचेगा।'
कृति ने होली की मस्ती के बारे में कहा, 'होली को लेकर मेरे बचपन की बहुत रंगीन यादें मेरे जेहन में हैं। तब मैं और मेरी बहन नुपुर होली की पहली रात से इसकी मस्ती को लेकर बहुत एक्साइटेड रहते थे। हम अगले दिन जल्दी उठकर ही इसकी तैयारियां शुरू करते थे। सबसे पहले तो पूरी बॉडी पर ऑइल लगाते थे, जिससे हम पर लगने वाला रंग उतरने में आसानी हो। सिर पर कैप बांधते थे आंखों का प्रोटेक्शन भी करने की तैयारी रखते थे, इतने सब के बाद भी हम जब होली खेलकर घर आते थे पूरे भूत नजर आते थे। ऑइल कोई काम नहीं आता था और हमें रंग उतारने घंटों तक नहाना पड़ता था। होली भी गुलाल, कीचड़, टमाटर सबसे खेलते थे। पहले तो जमकर एक दूसरे को रंगों से पोतते, फिर गानों पर डांस किया करते थे। ऐसी थी मेरी रंगीन होली...'
किआरा ने कहा, 'मैं तो बचपन में बहुत ही गंदे तरीके से होली खेलती थी। जो भी हाथ में आता था उसे ही होली के हथियार के तौर पर यूज कर लेते थे। मुझे याद है कि हम अपने ग्रुप में अंडों से होली खेलते थे। साथियों को कीचड़ से भी रंग देते थे। मैं होली का अपना पूरा हुड़दंग निकालती थी। बिल्डिंग के दोस्तों और स्कूल के दोस्तों सभी को रंगकर आती थी। तब ऑर्गेनिक कलर तो हुआ नहीं करते थे तो इतना ज्यादा केयर करने का ख्याल ही नहीं आता था। बस मस्ती चढ़ी होती थी तो खूब खेलते थे। उन दिनों को बहुत मिस करती हूं। अब तो इस सब के लिए समय ही नहीं मिलता। इस बार तो होली के दौरान अपनी फिल्म "भूल भुलैया' के सेट पर हूं, तो शायद उसके सेट पर ही होली का हुड़दंग मचेगा।'
रानी ने कहा, 'जिंदगी में कई बार होली खेली है, पर सबसे यादगार होली तो पिछले साल वाली रही। उस साल पहली बार मेरी बेटी अदीरा ने होली खेली थी। उसे पूरे रंग में नहला दिया था। वह चकित भाव से यह सब देख रही थी कि उसे ऐसे क्या खास तरीके से नहलाया जा रहा है। उसके वह क्यूरियस इमोशंस मेरे लिए सबसे खास बन गए। इस बार भी होली के मौके पर उसे रंगों में रंगा देखना चाहती हूं। उसके चेहरे के वे प्यारे से भाव दोबारा देखने की उत्सुकता है।'
कृति ने होली की मस्ती के बारे में कहा, 'होली को लेकर मेरे बचपन की बहुत रंगीन यादें मेरे जेहन में हैं। तब मैं और मेरी बहन नुपुर होली की पहली रात से इसकी मस्ती को लेकर बहुत एक्साइटेड रहते थे। हम अगले दिन जल्दी उठकर ही इसकी तैयारियां शुरू करते थे। सबसे पहले तो पूरी बॉडी पर ऑइल लगाते थे, जिससे हम पर लगने वाला रंग उतरने में आसानी हो। सिर पर कैप बांधते थे आंखों का प्रोटेक्शन भी करने की तैयारी रखते थे, इतने सब के बाद भी हम जब होली खेलकर घर आते थे पूरे भूत नजर आते थे। ऑइल कोई काम नहीं आता था और हमें रंग उतारने घंटों तक नहाना पड़ता था। होली भी गुलाल, कीचड़, टमाटर सबसे खेलते थे। पहले तो जमकर एक दूसरे को रंगों से पोतते, फिर गानों पर डांस किया करते थे। ऐसी थी मेरी रंगीन होली...'
सान्या ने बताते हुए कहा, 'बचपन में होली के दिन सुबह जल्दी उठ जाती थी। हुड़दंग मचाने का जुनून मुझ पर सवार रहता था। उठते ही गुब्बारे तैयार करती और लगभग साढ़े सात बजते ही अपनो सारे दोस्तों को फोन करके घर पर बुला लेती थी, फिर शुरू होता था हमारा धमाल। घर की बालकनी में खड़े होकर हम वहां से गुजरते लोगों के ऊपर रंग से भरे हुए गुब्बारे फेंकते थे और ये भी नहीं सोचते थे कि इससे किसी को चोट भी लग सकती है। अब मुझे इसका अहसास हाेता है कि ऐसा नहीं करना चाहिए। रीडर्स से भी कहूंगी कि ऐसा आप मत करिएगा। थोड़ा सुरक्षित तरीके से होली खेलिएगा। हां मेरा यह भी मानना है कि अब होली बड़ी बोरिंग सी हो चुकी है। इस त्योहार पर भांग वगैरह तो नहीं पीती हूं, पर आनंद पूरा लेती हूं।'
रानी ने कहा, 'जिंदगी में कई बार होली खेली है, पर सबसे यादगार होली तो पिछले साल वाली रही। उस साल पहली बार मेरी बेटी अदीरा ने होली खेली थी। उसे पूरे रंग में नहला दिया था। वह चकित भाव से यह सब देख रही थी कि उसे ऐसे क्या खास तरीके से नहलाया जा रहा है। उसके वह क्यूरियस इमोशंस मेरे लिए सबसे खास बन गए। इस बार भी होली के मौके पर उसे रंगों में रंगा देखना चाहती हूं। उसके चेहरे के वे प्यारे से भाव दोबारा देखने की उत्सुकता है।'
सान्या ने बताते हुए कहा, 'बचपन में होली के दिन सुबह जल्दी उठ जाती थी। हुड़दंग मचाने का जुनून मुझ पर सवार रहता था। उठते ही गुब्बारे तैयार करती और लगभग साढ़े सात बजते ही अपनो सारे दोस्तों को फोन करके घर पर बुला लेती थी, फिर शुरू होता था हमारा धमाल। घर की बालकनी में खड़े होकर हम वहां से गुजरते लोगों के ऊपर रंग से भरे हुए गुब्बारे फेंकते थे और ये भी नहीं सोचते थे कि इससे किसी को चोट भी लग सकती है। अब मुझे इसका अहसास होता है कि ऐसा नहीं करना चाहिए। रीडर्स से भी कहूंगी कि ऐसा आप मत करिएगा। थोड़ा सुरक्षित तरीके से होली खेलिएगा। हां मेरा यह भी मानना है कि अब होली बड़ी बोरिंग सी हो चुकी है। इस त्योहार पर भांग वगैरह तो नहीं पीती हूं, पर आनंद पूरा लेती हूं।'
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