चीन से तनातनी के बीच डिफेंस बजट में हथियारों की खरीद के लिए पिछले तीन साल में सबसे कम बढ़ोतरी हुई है। इस बार कैपिटल बजट महज 10 हजार करोड़ रुपए ही बढ़ा है। जो 2021 के मुकाबले करीब 12% कम है।
डिफेंस बजट में सबसे ज्यादा रकम सैलरी बांटने के लिए मिली है। पिछले साल के मुकाबले करीब 16% ज्यादा। रिटायर्ड सैनिकों के लिए भी अच्छी खबर है। पेंशन बजट में 19 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है, जो पिछले तीन साल में सबसे ज्यादा इजाफा है।
अब डिफेंस बजट 5.93 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया है, जो कुल बजट का करीब 13% है। पिछले साल भी डिफेंस बजट कुल बजट का 13% ही था। बड़ी बात यह है कि एक घंटा 25 मिनट के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने एक बार भी डिफेंस का जिक्र नहीं किया।
डिफेंस बजट में मुख्य रूप से 3 पार्ट होते हैं। रेवेन्यू, कैपिटल एक्सपेंडिचर और पेंशन। चलिए इसे एक-एक करके समझते हैं।
1. रेवेन्यू : सैलरी बांटने के लिए सबसे ज्यादा बजट
2. कैपिटल एक्सपेंडिचर : हथियारों की खरीद के लिए सिर्फ 10 हजार करोड़ का इजाफा
3. पेंशन : रिटायर्ड सैनिकों के लिए अच्छी खबर
डिफेंस बजट में पेंशन के लिए 1.38 लाख करोड़ रुपए दिया गया है। पिछले साल यह आंकड़ा 1.19 लाख करोड़ रुपए था। यानी इस बार करीब 19 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। 2022 में भी सरकार ने पेंशन के लिए 4 हजार करोड़ अधिक दिए थे। देश में तीनों सेनाओं से रिटायर्ड सैनिकों की संख्या करीब 26 लाख है।
इस बजट से तीनों सेनाओं को क्या मिला....
आर्मी के लिए इस बार रेवेन्यू बजट 1.8 लाख करोड़ रुपए है। पिछले साल रेवेन्यू बजट 1.6 लाख करोड़ रुपए था। यानी करीब 20 हजार करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। इसमें अग्निपथ स्कीम के लिए 3,800 करोड़ रुपए है। कैपिटल बजट में पिछले साल के मुकाबले करीब 5 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन तीनों सेनाओं के लिहाज से आर्मी का कैपिटल बजट सबसे कम है। यानी आर्मी को हथियार खरीदने के लिए सबसे कम पैसे मिले हैं।
नेवी के लिए इस साल कैपिटल बजट 52,804 करोड़ रुपए है। पिछले साल के मुकाबले करीब 5 हजार करोड़ ज्यादा। यानी हथियारों की खरीद के लिए एयरफोर्स के बाद नेवी को सबसे ज्यादा बजट मिला है। माना जा रहा है कि सरकार आने वाले साल में समुद्री ताकत बढ़ाएगी। चीन से तनाव के बाद सरकार लगातार इस पर फोकस भी कर रही है।
नेवी के लिए इस बार रेवेन्यू बजट 32 हजार करोड़ रुपए है। पिछले साल यह 25 हजार करोड़ रुपए था। इसमें अग्निपथ स्कीम के लिए 300 करोड़ रुपए है।
इस साल एयरफोर्स के लिए रेवेन्यू बजट 44 हजार करोड़ रुपए है। यह पिछले साल की तुलना में 12 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है। इसमें अग्निपथ स्कीम के लिए 166 करोड़ है। कैपिटल बजट की बात करें तो तीनों सेनाओं में सबसे ज्यादा अमाउंट एयरफोर्स को ही मिला है। पिछले साल कैपिटल बजट करीब 55 हजार करोड़ रुपए था, जो इस बार 57 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा पहुंच गया है।
बजट को लेकर 3 उम्मीदें क्या थीं और बजट में क्या मिला?
उम्मीद 1 : हथियारों की खरीद और मॉडर्नाइजेशन पर फोकस
पिछले साल कुल बजट का 54% सैलरी और पेंशन के लिए था। सरकार और डिफेंस एक्सपर्ट का मानना था कि अग्निपथ स्कीम के बाद सेना पर सैलरी और पेंशन का लोड घटेगा। इसका फायदा हथियारों की खरीद और मॉडर्नाइजेशन पर होगा। लिहाजा सरकार कैपिटल बजट में 10% की बढ़ोतरी कर सकती है।
बजट में क्या मिला: इस कुल डिफेंस बजट का करीब 70% रेवेन्यू और पेंशन के लिए है। यानी अग्निपथ स्कीम के बाद भी सैलरी और पेंशन का लोड घटने के बजाय बढ़ गया। वहीं कैपिटल बजट महज 6.5% ही बढ़ा है। जो पिछले तीन साल में सबसे कम ग्रोथ है।
उम्मीद 2 : मेक इन इंडिया पर फोकस
पिछले साल वित्त मंत्री ने कहा था कि कैपिटल बजट का 68% डोमेस्टिक इंडस्ट्री के लिए अलॉट किया जाएगा। ताकि ज्यादा से ज्यादा हथियारों का प्रोडक्शन देश में ही हो सके। उन्होंने रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए बजट में से 25% प्राइवेट सेक्टर को देने की बात कही थी। इस बार के बजट में भी मेक इन इंडिया पर फोकस की उम्मीद की जा रही थी।
बजट में क्या मिला: इस बार हथियारों की खरीद के लिए बजट में बहुत ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है। इसके बावजूद सरकार ने मेक इन इंडिया पर पिछले साल की तरह ही फोकस किया है। पब्लिक एंटरप्राइजेज में इन्वेस्टमेंट के लिए 1310 करोड़ रुपए का बजट मिला है। इसके लिए पिछले साल भी इतनी ही रकम मिली थी।
उम्मीद 3 : युवाओं को नौकरियां मिलेंगी
भारतीय सेना में फिलहाल 1,35, 891 वैकेंसी हैं। इसमें सबसे ज्यादा आर्मी में 118,485, नेवी में 11,587 और एयर फोर्स में 5,819 पद खाली हैं। इसमें अग्निवीर स्कीम के तहत 46 हजार पदों पर भर्ती की जानी है। उसकी प्रक्रिया चल रही है।
बजट में क्या मिला: इस बार डिफेंस बजट में सैलरी पर जोर दिया गया है। आर्मी को सबसे ज्यादा 1.8 लाख करोड़ रुपए रेवेन्यू यानी सैलरी बांटने के लिए मिला है। तीनों सेनाओं में अग्निपथ स्कीम के लिए करीब 4266 करोड़ रुपए मिले हैं।
आगे सेना किन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है, उसके बारे में भी जान लेते हैं-
84 हजार 238 करोड़ रुपए की खरीद करने वाली है सेना
इस प्रोजेक्ट के तहत 354 लाइट टैंक खरीदे जाएंगे। 16,000 करोड़ की लागत से सेना अपने बेड़े में 25 टन वजन वाले हल्के टैंक शामिल करेगी। ये टैंक स्वदेशी होंगे और इनकी मारक क्षमता अन्य टैंकों की तरह ही होगी।
ये टैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस होंगे। एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम के साथ इसकी निगरानी ड्रोन से होगी और इसमें परिस्थिति का अंदाजा लगाने की नई टेक्नोलॉजी होगी।
FICV एक विशेष तरह की गाड़ी होगी, जो रूस की डिजाइन 1980 मॉडल BMP-2 को रिप्लेस करेगी। फिलहाल मंत्रालय द्वारा 480 FICV के लिए स्वीकृति मिली है, लेकिन सेना समय के साथ 2000 FICV खरीदेगी।
लगभग 7,500 करोड़ रुपए में 300 माउंटेड गन सिस्टम की खरीद के लिए मंजूरी मिली है। रेगुलर आर्टिलरी गन के इतर इन 155mmx52 कैलिबर गन को एक गाड़ी पर फिट किया जा सकता है जो मुश्किल रास्तों पर चलते वक्त भी शूट करने में सक्षम रहेगा।
1999 के आर्टिलरी मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम के तहत शुरू की गई योजना सालों से पेंडिंग थी।
सेना ने जम्मू कश्मीर के आतंकवाद विरोधी मिशन और इसके अलावा चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए 80,000 बैलिस्टिक हेलमेट खरीदने की प्लानिंग की है। ये हेलमेट एक हद तक AK47 की गोली भी बर्दाश्त करने में सक्षम माने जाते हैं।
इंडियन नेवी के सूत्रों के मुताबिक ये पानी के जहाज प्लग एंड प्ले की तरह हैं, जिसका मतलब है कि जरूरत के हिसाब से इन पर अलग अलग उपकरण लगाकर इनको प्रयोग में लिया जा सकता है।
ये जहाज समुद्री निगरानी और गश्त, टॉरपीडो की लॉन्चिंग/रिकवरी और गनरी/एएसडब्ल्यू फायरिंग प्रैक्टिस के लिए जमीन, आसमान और पानी के भीतर तीनों जगह काम कर सकते हैं।
डिफेंस खर्च के मामले में दुनिया में हम तीसरे नंबर पर
भारत का कुल डिफेंस बजट 76.6 बिलियन डॉलर का है। दुनिया में डिफेंस पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले देशों में हम तीसरे नंबर पर हैं। पहले और दूसरे नंबर पर अमेरिका और चीन हैं। हम अपनी GDP का 2.4% हिस्सा डिफेंस पर खर्च करते हैं। वहीं, अमेरिका अपनी GDP का 3.2% और चीन 1.7% खर्च डिफेंस पर करता है।
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