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कोरोना इफेक्ट:मई महीने में देश में बेरोजगारी दर 27 फीसदी से ऊपर पहुंची, असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों को हुआ ज्यादा नुकसान

नई दिल्ली3 वर्ष पहले
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शुरुआत में, असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों की नौकरी गई हैं। लेकिन अब धीरे-धीरे, संगठित और सुरक्षित नौकरी वालों की जॉब पर भी संकट के बादल छाने लगे हैं ।
  • सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने 3 मई को सर्वे रिपोर्ट जारी की
  • रिपोर्ट के अनुसार अगर हालात नहीं सुधरे तो बेरोजगारी और बढ़ सकती है
  • अप्रैल महीने में बेरोजगारी में 14.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई

कोरोनावायरस के चलते देश में लागू लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी दर लगातार बढ़ती जा रही है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने देश में बेरोजगारी पर सर्वे रिपोर्ट जारी की है। इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 3 मई 2020 समाप्त सप्ताह तक यह देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 27.1 फीसदी पर पहुंच गई है।

अप्रैल में बढ़ी 14.8 फीसदी बेरोजगारी
इससे पहले जारी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2020 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 23.5 फीसदी पर पहुंच गई थी। अकेले अप्रैल महीने में बेरोजगारी दर में 14.8 फीसदी का इजाफा हुआ था। मार्च महीने के मुकाबले अप्रैल में बेरोजगारी दर में तेज बढ़ोतरी हुई थी।

असंगठित क्षेत्रों में बढ़ी ज्यादा बेरोजगारी
सीएमआईई के चीफ एक्जीक्यूटिव महेश व्यास ने कहा कि लॉकडाउन के लंबे चलने पर बेरोजगार लोगों की संख्या और बढ़ सकती है। शुरुआत में, असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों की नौकरी गई हैं। लेकिन अब धीरे-धीरे, संगठित और सुरक्षित नौकरी वालों की जॉब पर भी संकट के बादल छाने लगे हैं । स्टार्टअप ने ले-ऑफ की घोषणा की है और उद्योग संघों ने नौकरी के नुकसान की चेतावनी दी है। व्यास ने कहा कि नौकरी की तलाश कर रहे लोगों की संख्या भी बढ़ी है। 3 मई को यह 36.2 फीसदी हो गई जो पहले 35.4 थी।

12 करोड़ से ज्यादा लोग हुए बेरोजगार
सीएमआईई के अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि अप्रैल में दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों और छोटे व्यवसायी सबसे ज्यादा बेरोजगार हुए हैं। सर्वे के अनुसार 12 करोड़ (122 मिलियन) से ज्यादा लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा हैं। इनमें फेरीवाले, सड़क के किनारे सामान  बेचने वाले, निर्माण उद्योग में काम करने वाले कर्मचारी और कई लोग हैं जो रिक्शा को ठेला चलकर गुजारा करते थे। आपको बता दें कि भारत में असंगठित क्षेत्र में नौकरियों पर नजर रखने के लिए कई सरकारी मैट्रिक्स अपनाए जाते हैं। जैसे सीएमआईई सर्वे लेबर मार्केट पर नजर रखने के लिए एक प्रॉक्सी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।