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लॉकडाउन का एक महीना पूरा: आर्थिक अनुमान:कोविड-19 के गहराते असर से ऐसे बदलते गए भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि के आंकड़े, आगे भी बदलाव की आशंका

मुंबई3 वर्ष पहले
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भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि को लेकर एजेंसियों का अनुमान 4 मई के बाद फिर बदल सकता है। - Dainik Bhaskar
भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि को लेकर एजेंसियों का अनुमान 4 मई के बाद फिर बदल सकता है।
  • 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद 23 मार्च से पहला लॉकडाउन शुरू हुआ
  • दूसरा लॉकडाउन 4 मई को खत्म हो रहा है, पर इसमें और बढ़ोतरी हो सकती है

भारत में कोविड-19 के लॉकडाउन को आज एक महीने पूरे हो रहे हैं। इस दौरान देश की आर्थिक गतिविधियां जहां पूरी तरह बंद हैं, वहीं दूसरी ओर विभिन्न रेटिंग एजेंसियों ने चालू वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था में वृद्धि को लेकर समय-समय पर काफी बदलाव किए हैं।

जनवरी -फरवरी का अनुमान

कोविड-19 से पहले फिच ने जहां 5.6 प्रतिशत का अनुमान लगाया था, वहीं आईएमएफ ने 5.8 प्रतिशत का अनुमान लगाया था। मूडी ने 5.4 प्रतिशत का अनुमान लगाया था तो वर्ल्ड बैंक ने 5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था। यह अनुमान जनवरी-फरवरी 2020 में लगाया गया था। जबकि भारत में कोविड-19 को लेकर मार्च से कदम उठाने शुरू हुए थे। इन सबसे ऊपर भारतीय रिजर्व बैंक ने 6 प्रतिशत की दर से अर्थव्यवस्था में वृद्धि का अनुमान लगाया था।

पहले लॉकडाउन के समय 6 प्रतिशत वृद्धि का था अनुमान

देश में 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगने के अगले दिन ही यानी 23 मार्च से पहले लॉकडाउन की शुरुआत हुई जो 14 अप्रैल तक रहा। इसके बाद दूसरे चरण के लॉकडाउन की शुरुआत हुई जो 4 मई तक है। इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि में जो अनुमान लगे, वह 6 प्रतिशत की वृद्धि दर से शुरू होकर अब एक प्रतिशत के नीचे आ गया है। हालांकि यह अनुमान अभी भी 4 मई तक के आधार पर है और अगर लॉकडाउन बढ़ता है तो रेटिंग एजेंसियां फिर से अपने अनुमानों को बदल देंगी

जनवरी-फरवरी का अनुमानमार्च-अप्रैल का अनुमान
फिच                                5.6 प्रतिशत0.8 प्रतिशत
आईएमएफ                       5.8 प्रतिशत1.9 प्रतिशत
मूडी                                 5.4 प्रतिशत2.5 प्रतिशत
वर्ल्ड बैंक                          5.0 प्रतिशत11.5 प्रतिशत
आरबीआई                        6 प्रतिशत5.5 प्रतिशत

कमोडिटी की गिरती कीमतें और कैपिटल आउटफ्लो चिंताजनक

दूसरे लॉकडाउन के समापन में हालांकि अभी 11 दिन बाकी हैं, पर इसके पहले रेटिंग का अनुमान जो आया है, वह बहुत ही निराशाजनक है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने गुरुवार को कहा कि वित्तीय वर्ष 2021 के दौरान देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2 प्रतिशत से घटकर 0.8 प्रतिशत के करीब रह सकती है, जबकि इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) ने अनुमान लगाया है कि 2020-21 के दौरान यह वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत के आस-पास रह सकती है। इसके पीछे कारण दिया है कि एक तो कमोडिटी की कीमतों में भारी गिरावट और दूसरे कैपिटल आउटफ्लो तथा सीमित नीतियों की फ्लैक्सिबिलिटी हैं।

आईएमएफ का अनुमान 1.5 प्रतिशत

वर्ल्ड बैंक ने अपने अनुमान में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 1.5 प्रतिशत के आस-पास रह सकती है। हालांकि फिच ने इस ओर भी ध्यान दिलाया है कि वित्तीय वर्ष 2020 में कंज्यूमर स्पेंडिंग यानी उपभोक्ताओं द्वारा किए जाने वाला खर्च 0.3 प्रतिशत पर आ जाएगा जो पहले 5.5 प्रतिशत था। इसी तरह खुदरा महंगाई दर वित्तीय वर्ष 2021 में 3.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई गई है। पिछले साल दिसंबर में फिच ने भारत की रेटिंग बीबीबी बताई थी।

बदलते रहे अनुमान

कांफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री यानी सीआईआई के अनुमानों को माने तो इसके मुताबिक वित्तीय वर्ष 2021 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 0.6 प्रतिशत रह सकती है। पहले लॉकडाउन की बात करें तो उस समय फिच ने वित्तीय वर्ष 2021 मे 5.1 प्रतिशत की वृद्धि दर रहने का अनुमान लगाया था, जबकि लॉकडाउन से पहले इसने 5.6 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद की थी। स्टैंडर्ड एंड पूअर्स की बात करें तो इस एजेंसी ने 30 मार्च को अपने पहले के अनुमानों को घटाकर 5.2 प्रतिशत कर दिया था। इससे पहले इसने 6.5 प्रतिशत की वृद्धि का अंदाज लगाया था।

केंद्र सरकार का पैकेज

दरअसल केंद्र सरकार ने अभी तक एक ही बड़ा राहत पैकेज किया है जो पहले लॉकडाउन के समय 1.70 लाख करोड़ रुपए का था। इसकी तुलना में वैश्विक देशों ने अपने जीडीपी के अनुपात में 10-15 प्रतिशत का राहत पैकेज जारी किया था, पर भारत अभी भी काफी पीछे है। हालांकि इसी हफ्ते में या अगले हफ्ते भारत सरकार दूसरा राहत पैकेज जारी कर सकती है जो काफी बड़ा होगा। मूडी का अनुमान यह था कि भारत की आर्थिक वृद्धि 5.5 से घटकर 3.6 प्रतिशत रह सकती है।

प्राइवेट कंजम्प्शन और इनवेस्टमेंट पर देना होगा जोर

हालांकि उस समय भारत के आर्थिक सर्वे में जो अनुमान लगाया गया था वह 6 से 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को लेकर थी। इन एजेंसियों का मानना है कि उपरोक्त राहत पैकेज के बाद भी देश में प्राइवेट कंजम्प्शन में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है। साथ ही इनवेस्टमेंट भी पूरी तरह से रुका हुआ है। एक्सपोर्ट भी इसी तरह से रुका है। प्राइवेट कंजम्प्शन को लेकर अनुमान है कि यह 4.5 प्रतिशत से घटकर 3.7 प्रतिशत पर रह सकता है। वैश्विक स्तर पर कोविड-19 से अब तक 28 लाख लोग प्रभावित हैं जबकि 1.91 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में यह आंकड़ा अभी तक 23,000 और 718 का है।

भारत में अभी भी कोविड-19 का आंकड़ा कम

भारत में आंकड़ों में कमी इसलिए है क्योंकि भारत ने बहुत पहले लॉकडाउन शुरू कर दिया था और इस वजह से कोविड-19 का प्रसार उतनी तेजी से नहीं हो पाया। हालांकि अप्रैल महीने में इसकी बढने की रफ्तार जरूर तेज हुई है, पर अभी भी यह अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। देश में 27 मार्च तक कोविड-19 से प्रभावितों की संख्या 700 थी, जबकि अब यह 30 गुना बढ़ गया है। मौतों के मामलों में यह वृद्धि और भी ज्यादा है।