आज की आर्थिक परिस्थिति में बहुत कम चीजें हैं जो रुपए के पक्ष में हैं। क्रूड के भाव में गिरावट उनमें से एक सबसे बड़ी चीज है। बैंक ऑफ अमेरिका के मुताबिक क्रूड के भाव में जितनी गिरावट हुई है, उसके हिसाब से भारत को 40 अरब डॉलर की बचत होने का अनुमान है। इससे देश का चालू खाता घाटा संतुलित हो गया है। पिछली बार भारत ने चालू खाता आधिक्य (करेंट अकाउंट सरप्लस) 2004 में दर्ज किया था।
भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, इसलिए सस्ते क्रूड से देश को काफी राहत मिली
भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। इसलिए क्रूड में गिरावट से देश को काफी राहत मिली है। रुपया पिछले महीने डॉलर के मुकाबले दर्ज किए गए अपने निचले स्तर से करीब 2 फीसदी मजबूत हो चुका है। डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्लूमबर्ग ने विश्लेषकों की बीच किए गए एक सर्वेक्षण के आधार पर कहा है कि रुपया इस साल के आखिर तक एक फीसदी और मजबूत होकर डॉलर के मुकाबले 74.74 पर पहुंच सकता है।
यदि क्रूड के भाव में गिरावट नहीं आती, तो रुपए की हालत आज के मुकाबले काफी खराब होती
सिंगापुर में नोमुरा होल्डिंग्स इंक के स्ट्रैटेजिस्ट दुष्यंत पद्मनाभन ने कहा कि अभी कई चीजें एक साथ रुपए के खिलाफ काम कर रही हैं। यदि इस समय क्रूड के भाव में गिरावट नहीं आती, तो रुपए की हालत आज के मुकाबले काफी खराब होती। हालांकि आने वाले समय में रुपये में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहने का अनुमान है।
इस साल क्रूड 33 डॉलर पर रहा तो तेल आयात में भारत को 50 अरब डॉलर की बचत होगी
बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान है कि चालू कारोबारी साल में क्रूड का भाव 35.5 डॉलर प्रति बैरल रहेगा। इस भाव के हिसाब से बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान है कि भारत का क्रूड आयात खर्च चालू कारोबारी साल में 44 अरब डॉलर का रहेगा। यह पिछले कारोबारी साल के क्रूड आयात खर्च का करीब आधा है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड का अनुमान है कि चालू कारोबारी साल में क्रूड का भाव 33 डॉलर प्रति बैरल पर रहेगा। इस भाव के हिसाब से क्रूड आयात में भारत को 50 अरब डॉलर की बचत होगी। कोरोनावायरस की महामारी और लॉकडाउन के बीच हालांकि यह एक सुखद अनुमान है।
आने वाले समय में कोरोनावायरस महामारी की स्थिति से तय होगा रुपए का भाव
केयर रेटिंग्स लिमिटेड ने कहा कि आने वाले समय में रुपए का भाव इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत कितनी जल्दी कोरोनावायरस की महामारी से निजात पा लेता है। क्योंकि क्रूड के भाव में गिरावट और लॉकडाउन की वजह से पेट्रोल-डीजल जैसे पेट्र्रोलियम ईंधन की मांग घटने के कारण सरकार के टैक्स राजस्व में 40,000 करोड़ रुपए (5.3 अरब डॉलर) की कमी रह सकती है। वहीं सिटि ग्रुप इंक का अनुमान है कि वायरस के माहौल में सरकार की कमाई घटने और खर्च बढ़ने के कारण चालू कारोबारी साल में देश का वित्तीय घाटा बढ़कर 8 फीसदी पर पहुंच सकता है। जबकि इसके लिए बजट अनुमान 3.5 फीसदी का रखा गया है।
सरकार का कर्ज बढ़ेगा तो रेटिंग घटेगी और विदेशी निवेशक भागेंगे, इससे रुपया और कमजोर होगा
गोल्डमैन के विश्लेषक डैनी सुवानाप्रुति और उनके सहयोगियों ने एक रिपोर्ट में कहा कि आने वाले समय में रुपए की हालत सरकार की वित्तीय स्थिति पर निर्भर करेगी। सरकार राहत पैकेज का आकार जितना बढ़ाएगी, उसकी के मुताबिक रेटिंग प्रभावित होगी। उसी के हिसाब से देश की कर्ज लागत बढ़ जाएगी। इससे विदेशी निवेशक देश से अपनी ज्यादा पूंजी बाहर निकालेंगे। इन सबके प्रभाव से रुपया और कमजोर होगा।
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