म्यूचुअल फंड के लिए अप्रैल महीना कुछ ज्यादा ही झटका दिया है। इस महीने में क्रेडिट रिस्क फंड से निवेशकों ने 19,239 करोड़ रुपए की राशि निकाली है। इसी तरह से इक्विटी फंड से भी निवेशकों ने पैसे निकाले हैं। हालांकि इसी दौरान लिक्विड फंड में अच्छी खासी राशि आई है।
मार्च में 5,568 करोड़ रुपए की क्रेडिट रिस्क फंड से हुई थी निकासी
म्यूचुअल फंड की संस्था एंफी ने अप्रैल महीने के आंकड़े शुक्रवार को जारी किए। आंकड़ों के मुताबिक निवेशकों ने 19,234 करोड़ रुपए की निकासी अप्रैल में की है। फ्रैंकलिन टेम्पल्टन द्वारा अप्रैल के अंतिम हफ्ते में 6 डेट स्कीम्स को बंद किए जाने का इस कटेगरी पर बुरा असर दिखा है जिससे निवशकों ने पैसे निकाले हैं। क्रेडिट रिस्क फंड कटेगरी में देखें तो मार्च में 5,568 करोड़ रुपए की निकासी की गई थी। जबकि फरवरी में 637 करोड़ रुपए की निकासी निवेशकों ने की है। जनवरी में 1,215 करोड़ रुपए इसमें से निकाला गया था। इस तरह से दिसंबर से अब तक देखें तो पांच महीनो में इस कटेगरी से 27,581 करोड़ रुपए निकल गए हैं।
लिक्विड फंड में आया 68,848 करोड़ रुपए
गोल्ड फंड में लगातार निवेशक पैसे लगा रहे हैं। इसमें अप्रैल में 730 करोड़ रुपए आए हैं। एंफी के सीईओ एन.एस. वेंकटेश ने कहा कि फ्रैंकलिन टेम्पल्टन की घटना से क्रेडिट फंड कटेगरी को झटका लगा है। फ्रैंकलिन टेम्पल्टन ने हालांकि अच्छी तरह से इसका प्रबंधन किया था। क्रेडिट रिस्क फंड वे फंड होते हैं जो डेट फंड में आते हैं और यह 65 प्रतिशत निवेश एए से कम रेटिंग वाले पेपर में करते हैं। इन कम रेटिंग वाले पेपर्स में निवेश से ज्यादा ब्याज की उम्मीद रहती है। इसी तरह लिक्विड फंड में 68,848 करोड़ रुपए का निवेश अप्रैल में आया है। जबकि मार्च में इस कटेगरी से 110,037 करोड़ रुपए निकाला गया था। इस कटेगरी में मुख्य रूप से कंपनियां अपने सरप्लस को कुछ दिनों के लिए निवेश करती हैं। इस पर बचत या एफडी खाते से ज्यादा रिटर्न मिल जाता है।
एसआईपी में आई 3 प्रतिशत की गिरावट
एंफी के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में एसआईपी के इन्फ्लो में 3 प्रतिशत की गिरावट रही है। यह 8,367.11 करोड़ रुपए रहा है। जबकि मार्च में यह आंकड़ा 8,641.20 करोड़ रुपए रहा है। एसआईपी फोलियो की कुल संख्या मामूली बढ़कर 3.13 करोड़ रही है जो कि मार्च में 3.12 करोड़ रही है। एसआईपी का कुल एयूएम इस दौरान 2.75 लाख करोड़ रुपए रहा है। जबकि मार्च में यह 2.39 लाख करोड़ रुपए रहा है। एन.एस. वेंकटेश ने बताया कि एसआईपी इन्फ्लो में गिरावट हुई है। लेकिन इससे आनेवाले दिनों में हम उबर जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि मई महीने में यह आंकड़ा फिर से 8,600 करोड़ रुपए से ज्यादा हो जाएगा।
इक्विटी म्यूचुअल फंड के निवेश में 45 प्रतिशत की गिरावट
इक्विटी म्यूचुअल फंड में इस दौरान निवेश गिरकर 6,213 करोड़ रुपए रहा है जो कि मार्च में 11,723 करोड़ रुपए था। लॉर्ज और मल्टीकैप फंड में निवेशकों की दिलचस्पी आगे नहीं बढ़ पाई। मिड कैप और स्माल कैप में 350 से 500 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। अप्रैल में देखें तो बीएसई सेंसेक्स 14.41 प्रतिशत बढ़ा और मिड कैप 13.65 प्रतिशत बढ़ा। स्माल कैप इंडेक्स इसी दौरान 15.53 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल महीने में म्यूचुअल फंड उद्योग ने इक्विटी से 824 करोड़ रुपए की निकासी की है। जबकि मार्च में इन्हीं निवेशकों ने 55,595 करोड़ रुपए का निवेश किया था।
लिक्विड फंड में 68,848 करोड़ रुपए आया
आंकड़े बताते हैं कि म्यूचुअल फंड के लिक्विड फंड में 68,848 करोड़ रुपए का निवेश हुआ। एन.एस. वेंकटेश ने कहा कि क्रेडिट रिस्क फंड को छोड़ दें तो फंड उद्योग से रिडेंम्प्शन बहुत ज्यादा नहीं रहा है। हम अन्य फंड स्कीम्स में आनेवाले महीनों में निवेश देखेंगे। क्योंकि ब्याज दरें कम स्तर पर हैं। उन्होंने कहा कि अगर बाजार ऊपर रहता है तो मार्च की तरह आनेवाले समय में इक्विटी फंड में निवेश दिखेगा। क्योंकि अभी तक पहली तिमाही की आय पर सबकी नजर थी। म्यूचुअल फंड उद्योग का कुल एयूएम अप्रैल में 23.93 लाख करोड़ रुपए रहा है। मार्च में यह 22.26 लाख करोड़ रुपए रहा है।
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