माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) सेक्टर में बेड लोन जनवरी 2020 तक बढ़कर 12.5 फीसदी पर पहुंच गया है। ट्रांसयूनियन सिबिल और सिडबी की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) का अनुपात माइक्रो सेगमेंट 9 फीसदी और स्मॉल एंड मीडियम सेगमेंट में 11 फीसदी पर पहुंच गया है।
सरकारी बैंकों का 19 फीसदी लोन एनपीए
यदि लैंडर्स की बात की जाए तो एमएसएमई में प्राइवेट सेक्टर के बैंकों का 3 से 5 फीसदी लोन ही एनपीए की श्रेणी में है। वहीं सरकारी बैंकों का एनपीए दिसंबर 2018 के 18 फीसदी से बढ़कर दिसंबर 2019 में 19 फीसदी पर पहुंच गया है। इसके अलावा नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज (एनबीएफसी) का एनपीए भी बढ़ा है। बैलेंस शीट के मुताबिक जनवरी 2020 तक एनबीएफसी कुल कमर्शियल लैंडिंग एक्सपोजर 64.45 लाख करोड़ रुपए था। इसमें से 17.75 लाख करोड़ रुपए का क्रेडिट एक्सपोजर एमएसएमई पर है।
सरकारी बैंकों ने वापस ली अपनी हिस्सेदारी
दिलचस्प बात यह है कि सरकारी बैंकों ने एमएसएमई सेगमेंट में अपनी उस हिस्सेदारी को वापस ले लिया है जिसको शेडो लैंडर्स ने छीन लिया था। दिसंबर 2019 तक एमएसएमई लोन सेगमेंट में सरकारी बैंकों की कुल हिस्सेदारी 49.8 फीसदी थी। इसमें 59 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ माइक्रो सेगमेंट टॉप पर है।
कमर्शियल क्रेडिट एक्सपोजर की स्थिति (राशि लाख करोड़ रुपए में)
बहुत छोटा | माइक्रो-1 | माइक्रो-2 | स्मॉल | मीडियम | लार्ज | ओवरऑल | |
दिसंबर 2017 | 0.75 | 1.85 | 1.26 | 7.67 | 4.32 | 37.16 | 53.01 |
दिसंबर 2018 | 0.89 | 2.2 | 1.5 | 8.91 | 4.79 | 43.35 | 61.63 |
दिसंबर 2019 | 0.93 | 2.15 | 1.44 | 8.74 | 4.68 | 46.1 | 64.04 |
जनवरी 2020 | 0.88 | 2.17 | 1.46 | 8.72 | 4.51 | 46.72 | 64.45 |
लोन की राशि रुपए में: बहुत छोटा= 10 लाख से कम, माइक्रो-1= 10 से 50 लाख तक, माइक्रो-2= 50 लाख से 1 करोड़ तक, स्मॉल = 1 से 15 करोड़ तक, मीडियम = 15 से 50 करोड़ तक, लार्ज = 50 करोड़ से ज्यादा।
स्रोत: ट्रांसयूनियन सिबिल
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