देश की आधी आबादी यानी महिलाओं के रोजगार की समस्या विकराल रूप से ले चुकी है। बीते 5 साल में करीब सवा करोड़ महिलाओं का रोजगार छिना है। इसमें 25 लाख रोजगार इस साल जनवरी से अप्रैल के दौरान कम हुआ। यह जानकारी देश में बेरोजगारी को लेकर सर्वे करने वाली एकमात्र संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के एनालिसिस से सामने आई है।
आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से अप्रैल 2017 के दौरान देश में कुल 40.89 करोड़ लोगों को रोजगार मिला था। इसमें 35.81 करोड़ पुरुष और 5.08 करोड़ महिलाएं थीं। पांच साल बाद यानी जनवरी से अप्रैल 2022 के दौरान कुल रोजगार घटकर 39.98 करोड़ रह गया। इस दौरान पुरुषों की संख्या बढ़कर 36.11 करोड़ हो गई, लेकिन महिलाओं की संख्या घटकर 3.86 करोड़ ही रह गई। यह 1.22 करोड़ कम है।
समाज और नीतिगत बदलावों का असर
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, कामकाजी महिलाओं की संख्या घटने के तीन बड़े कारण हैं। समाज अब भी उन्हें बाहर काम के लिए प्रोत्साहित नहीं करता। नए स्टार्टअप्स पुरुषों को तरजीह देते हैं और मां बनने के बाद नौकरी छोड़ने का चलन बढ़ा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह पांच वर्षों के नीतिगत बदलाव का नतीजा भी हो सकता है। GST के बाद असंगठित क्षेत्र सिकुड़ रहा है। वहीं, 2017 से मातृत्व अवकाश 12 से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना कारण हो सकता है। इससे भी महिलाओं को रोजगार देने की हिचक बढ़ी है।
2022 की पहली तिमाही में दुनिया ने खोई 11.2 करोड़ नौकरियां
जेनेवा 2022 की पहली तिमाही में काम के घंटों की संख्या प्री-कोरोना से 3.8% घटी है। इससे जनवरी से मार्च के दौरान दुनियाभर में 11.2 करोड़ नौकरियां गई हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक कोरोना से पूर्व काम करने वाली हर 100 में औसतन 12.3 महिलाओं ने कोरोनाकाल में नौकरी खोई।
पुरुषों की बात करें तो हर 100 में औसतन 7.5 ने नौकरी गंवाई। रिपोर्ट के मुताबिक महामारी ने देश में रोजगार भागीदारी में महिला-पुरुष के लिंग असंतुलन को खासा बढ़ा दिया है।
बीते साल सितंबर-दिसंबर के मुकाबले जनवरी-अप्रैल 22 में महिला रोजगार घटा है। दिसंबर चौमाही में 4.11 करोड़ महिलाओं के पास रोजगार था। जनवरी से अप्रैल 22 के दौरान 25 लाख रोजगार घट गए।
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