23 नवंबर 2011 बुधवार की शाम 6 बजे के आसपास देश-दुनिया में एक खबर सरप्राइज बनकर उभरी कि टाटा ग्रुप को नया उत्तराधिकारी मिल गया। दिलचस्प बात ये कि भावी मुखिया टाटा परिवार का न होकर, एक बाहरी व्यक्ति है। और फिर अगले कुछ ही घंटों में 43 वर्षीय साइरस पलोनजी मिस्त्री टाटा समूह के सबसे युवा चेयरमैन बनाए गए।
साथ ही, इस बात की भी पुष्टि हो गई थी कि साइरस ही 73 वर्षीय रतन टाटा के उत्तराधिकारी होंगे। साइरस मिस्त्री को रतन टाटा का उत्तराधिकारी बनाए जाने की घोषणा के बाद टाटा ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में उछाल आया और उनका मार्केट कैप करीब 5,200 करोड़ रुपए बढ़ गया। मिस्त्री को 28 दिसंबर 2012 को टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया था, लेकिन जैसी उम्मीद की जा रही थी वैसा बिल्कुल भी नहीं हुआ। 2016 में मिस्त्री को पद से हटा दिया गया।
रविवार यानी आज साइरस मिस्त्री का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया है। मुंबई से सटे पालघर में कासा के पास मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर यह हादसा हुआ। शुरुआती जानकारी के मुताबिक, मिस्त्री की मर्सिडीज कार रोड डिवाइडर से टकरा गई थी। कार में कुल चार लोग सवार थे। इस एक्सीडेंट में मिस्त्री समेत दो लोगों की मौत हुई है। ऐसे में यहां हम आपको साइरस मिस्त्री की शख्सियत से जुड़ी 5 बातें बता रहे हैं:
साइरस मिस्त्री से जुड़ी 5 बातें...
1. दिखावे से परहेज
टाटा ग्रुप के सर्वेसर्वा बनाए जाने की घोषणा के दूसरे दिन जब साइरस टाटा के मुंबई स्थित मुख्यालय बॉम्बे हाउस पहुंचे तो वे साधारण से पैंट-शर्ट पहने हुए थे जबकि उनका स्वागत करने वाले लोग सूट-बूट में आए थे। उनकी कमीज की बाहें मुड़ी हुई थीं और कुछ बटन खुले थे। हालांकि बॉम्बे हाउस साइरस के लिए नई जगह नहीं थी, लेकिन टाटा संस के डिप्टी चेयरमैन के तौर पर मिस्त्री ने पहली बार कदम रखा।
2. जमीनी शख्सियत
पिछले कई दशकों से सुर्खियों में रहने के बावजूद रतन टाटा की शख्सियत जमीनी और शर्मीले व्यक्तित्व वाले इंसान की है। इसी तरह से साइरस मिस्त्री को करीब से जानने वाले वाले कहते थे- वे बिल्कुल रतन टाटा जैसे हैं। दोनों के स्वभाव और खासकर लोगों से मिलने-जुलने की आदत में काफी समानता थी।
3. सबसे अलग और सामान्य
मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल में पढ़ने वाली बड़ी हस्तियों के बच्चों में वे आसानी से पहचाने जाते थे। वे चमचमाती कार में स्कूल में भले ही जाते थे, लेकिन क्लास में एकदम सामान्य व्यवहार करते थे और पढ़ाई के प्रति गंभीर रहते थे।
4. कुशाग्र और बेहद विनम्र
रतन टाटा ने साइरस की नियुक्ति पर कहा था, टाटा संस के डिप्टी चेयरमैन के रूप में साइरस पी मिस्त्री का चयन एक अच्छा और दूरदर्शिता पूर्ण निर्णय है। वे अगस्त 2006 से ही टाटा संस के निदेशक मंडल में हैं और मैं उनके गुणों, भागीदारी की उनकी क्षमता, कुशाग्रता तथा नम्रता से प्रभावित हुआ।
5. मशक्कत के बाद चुना गया था
रतन टाटा का उत्तराधिकारी चुनना टाटा संस के लिए काफी मशक्कत का काम था। अगस्त 2010 में रतन टाटा के उत्तराधिकारी की खोज के लिए सदस्यों की एक समिति बनाई गई थी और इसमें खुद साइरस भी शामिल थे। इसमें शामिल सदस्यों ने सही व्यक्ति की खोज में दुनियाभर में चक्कर लगाए और दर्जनों बैठकें की।
उत्तराधिकारी की दौड़ में सबसे आगे रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा चल रहे थे। इसके अलावा इंदिरा नूई समेत 14 अन्य लोग भी शामिल थे। इन सबके इंटरव्यू लिए गए। इनके कामकाज के तरीके, अनुभव, योग्यता को परखा गया और तब जाकर सर्वसम्मति से साइरस को चुना गया। वैसे साइरस रिश्ते में तो नोएल टाटा के साले हैं।
शापूरजी पालोनजी मिस्त्री ग्रुप
देश की पुरानी और विश्वसनीय निर्माण कंपनी में इसका नाम शुमार है। पिछले सौ सालों से मुंबई की पानी की जरूरत पूरी कर रही मालाबार हिल रिजर्वायर का निर्माण इसी कंपनी ने किया था। ताज इंटर कॉन्टिनेंटल होटल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भवन व एचएसबीसी भवन, ब्रेबोर्न स्टेडियम मुंबई व जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, दिल्ली का निर्माण भी इसी ने किया है।
टाटा और पालोनजी का साथ
सायरस मिस्त्री के पिता पालोनजी मिस्त्री लंबे समय तक टाटा के बोर्ड सदस्य रहे। उनके पिता शापूरजी पालोनजी मिस्त्री ने 1930 में एफइ दिनशॉ एस्टेट में 12.5% हिस्सेदारी खरीदी थी। बाद में उन्होंने हिस्सेदारी बढ़ा कर 16.5% तक पहुंचाई। टाटा संस में पालोनजी मिस्त्री का परिवार सबसे बड़ा गैर टाटा हिस्सेदार है। 1990 की शुरुआत में पालोनजी मिस्त्री ने अपने खुद के साठ करोड़ रुपए टाटा संस में निवेश किए थे ताकि उनकी हिस्सेदारी बरकरार रहे।
साइरस के मायने
पांच अक्षरों से बना ग्रीक भाषा का शब्द साइरस के मायने हैं - ईश्वर का रूप या सूर्य। साइरस नाम से जुड़ा इतिहास भी बड़ा गौरवशाली है। प्राचीन पर्शिया में इस नाम के कई राजा हुए हैं जिनमें पांचवी शताब्दी के राजा साइरस द ग्रेट का नाम सबसे प्रमुख है। यही वह राजा था जिसने बेबीलोन को जीतकर यहूदियों को आजादी दिलाई थी और दुनिया का बड़ा हिस्सा जीता था।
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