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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार ने बजट में खेती-किसानी को कांग्रेस की यूपीए-II सरकार से लगभग साढ़े चार गुना ज्यादा पैसा दिया है। मछली पालन, पशुपालन और डेयरी मिनिस्टर गिरिराज सिंह ने कहा कि 2014 से 2020 के बीच मोदी सरकार में कृषि क्षेत्र को यूपीए-II से 438 पर्सेंट ज्यादा बजट दिया गया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में कृषि क्षेत्र ने बड़ी तरक्की की है, लेकिन विपक्ष को वह रास नहीं आ रहा है।
मोदी सरकार में कृषि बजट 4,87,238 करोड़ रहा, यूपीए II में 88,811 करोड़ था
गिरिराज सिंह ने कहा, ‘2009 से 2014 के बीच खेती किसानी के लिए बजट में 88,811 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ। 2014 से 2020 के बीच कृषि क्षेत्र के लिए बजट आवंटन बढ़कर 4,87,238 करोड़ रुपये हो गया। यह यूपीए सरकार के मुकाबले 438 पर्सेंट ज्यादा है।’ उन्होंने बताया कि 2013-14 में एग्री क्रेडिट सात लाख करोड़ रुपये का था जो 2021-22 में 16.5 लाख करोड़ रुपये होने जा रहा है। इस हिसाब से इसमें मोदी सरकार के शासन में 135 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है।
2013-14 से 2019-20 के बीच गेहूं की सरकारी खरीदारी 87% बढ़ी
यूनियन मिनिस्टर ने बताया कि 2013-14 में सरकार की तरफ से 33,000 करोड़ रुपये का गेहूं खरीदा गया था, जो 2019-20 में 87 पर्सेंट बढ़कर 62,000 करोड़ रुपये हो गया। इसी तरह, यूपीए-II सरकार में 2013-14 में 63,298 करोड़ रुपये का धान खरीदा गया था जो 2019-2020 में 1.41 लाख करोड़ रुपये हो गया। मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेल्फेयर के ईयर एंड रिव्यू 2020 के मुताबिक, वित्त वर्ष 2013-14 के 21,933 करोड़ रुपये के मुकाबले 2020-21 में एग्री बजट छह गुना से ज्यादा बढ़कर 1,34,400 करोड़ रुपये हो गया।
धान और गेहूं का MSP 2013-14 से 2020-21 के बीच 42% बढ़ा
मिनिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक, धान का मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) 2020-21 में 1868 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो 2013-14 के 1310 रुपये प्रति क्विंटल से 42 पर्सेंट ज्यादा है। इसके अलावा मोदी सरकार में गेहूं का MSP भी 1400 रुपये से 41 पर्सेंट बढ़कर 1975 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।
एग्री एडुकेशन और R&D पर खर्च बढ़ाने में सुस्त रही मोदी सरकार
खेती किसानी से जुड़ा बजट का एक और आंकड़ा है जो बताता है कि एग्रीकल्चर एडुकेशन के अलावा रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर खर्च में मोदी सरकार के हाथ बंधे रहे हैं। यूपीए-II सरकार (2009-14) ने इस मद में 12,252 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, जो मोदी सरकार के पहले कार्यकाल (2014-19) में 12% बढ़कर 13,748 करोड़ रुपये रहा।
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