एपल यूजर्स के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। अब कंपनी अपने प्रोडक्ट्स में USB टाइप-C चार्जिंग पोर्ट देने के लिए तैयार हो गई है। इस बात की जानकारी एपल के मार्केटिंग चीफ ग्रेग जोस्विक ने दी है। यूरोपियन यूनियन (EU) के यूनिवर्सल चार्जर नियम को लागू करने के बाद ही एपल अपने डिवाइसेस में सिंगल चार्जिंग पोर्ट ऐड करने के लिए तैयार हुआ है।
EU ने 3 हफ्ते पहले लागू किया था यूनिवर्सल चार्जर नियम
दरअसल, यूरोपियन यूनियन (EU) पार्लियामेंट ने 3 हफ्ते पहले यूनिवर्सल चार्जर नियम लागू किया था। EU ने इस नियम के तहत 2024 तक सभी इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को मोबाइल फोन, टैबलेट और लैपटॉप समेत सभी डिवाइसेस के लिए सिंगल चार्जिंग पोर्ट ऐड करने का निर्देश दिया था। मतलब सभी कंपनियों को मोबाइल फोन में भी टाइप-C चार्जिंग पोर्ट ही देना होगा। रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय लोग सिर्फ चार्जर खरीदने पर हर साल अरबों यूरो खर्च कर रहे थे।
हमारे पास कोई ऑप्शन नहीं, नियम का पालन करना होगा
ग्रेग जोस्विक से कैलिफोर्निया में वॉल स्ट्रीट जर्नल कॉन्फ्रेंस में सवाल पूछा गया कि EU के यूनिवर्सल चार्जर नियम के तहत एपल अपने आईफोन के लाइटनिंग चार्जर को USB टाइप-C चार्जिंग पोर्ट से चेंज करेगा? इस पर जोस्विक ने कहा, 'जाहिर है, हमें EU के नियम का पालन करना ही होगा। इसके अलावा हमारे पास कोई ऑप्शन नहीं है।' ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आईफोन 15 और 16 सीरीज को टाईप-सी चार्जिंग पोर्ट के साथ ही पेश किया जाएगा।
USB टाइप-C चार्जर को अडॉप्ट करने से खुश नहीं
जोस्विक ने बताया कि एपल USB टाइप-C चार्जर को अडॉप्ट करने के लिए तैयार हो गई है। लेकिन, वे इससे बिल्कुल खुश नहीं हैं। यह पूछे जाने पर कि एपल अपने आईफोन मॉडल्स में USB टाइप-C चार्जर कब से देना शुरू करेगा? इस सवाल के जवाब में जोस्विक ने कहा, "यूरोपियन कस्टमर्स के लिए समय तय करने वाले यूरोपीयंस ही हैं।' उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यूरोपियन यूनियन मेंबर्स देशों के अलावा बाहरी देश जो फोन बेच रहे हैं, वे एपल के लाइटनिंग चार्जर को चेंज करेंगे या नहीं।
आईफोन-15 सीरीज को USB-C पोर्ट के साथ किया जाएगा लॉन्च
ग्रेग जोस्विक ने बताया कि नए नियम को लेकर एपल और EU के बीच असहमति है। उन्होंने कहा कि सभी लाइटनिंग चार्जर्स को टाइप-C से बदलने से बहुत ज्यादा ई-कचरा होगा। रिपोर्ट्स के अनुसार आईफोन-15 सीरीज को 2023 के आखिरी तक लॉन्च किया जाएगा। यह पहला मॉडल होगा, जो USB टाइप-C चार्जिंग पोर्ट के साथ शिप होगा।
एपल ने पहले ही अपने मैक, कई आईपैड मॉडल और यूएसबी टाइप-सी पोर्ट के साथ एक्सेसरीज की शिपिंग शुरू कर दी है। उम्मीद की जा रही है कि कंपनी 2023 से आईफोन-15 में यूनिवर्सल चार्जिंग पोर्ट, एंट्री-लेवल iPad और AirPods के चार्जिंग केस को शामिल करेगी।
यूरोपियन यूनियन ने क्या कहा था?
यूरोपियन यूनियन ने कहा था- इस फैसले से कंज्यूमर चार्जर खरीद पर हर साल 250 मिलियन यूरो (267 मिलियन डॉलर), यानी 2,075 करोड़ रुपए तक की बचत कर पाएंगे। एक जैसे चार्जर मिलेंगे तो करीब 11 हजार टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा भी कम हो सकता है। एपल ने इस पर कहा था कि EU के यूनिवर्सल चार्जर के फैसले से न सिर्फ यूरोप के लोगों को, बल्कि पूरी दुनिया के ग्राहकों को दिक्कत होगी।
एपल को होगा नुकसान
ई-रीडर्स, ईयरबड्स और दूसरे टेक्नोलॉजिकल डिवाइस पर भी नए नियमों का असर होगा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि EU के फैसले से एपल को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि उनके किसी भी डिवाइस में टाइप-C केबल काम नहीं करती।
एक्सपर्ट्स ने कहा था कि एपल लाइटनिंग केबल से चार्ज होने वाले पुराने डिवाइस में टाइप-C कनेक्टर ऐड करने के बजाय टाइप-C कनेक्शन वाले नए डिवाइस लॉन्च कर सकता है।
भारत पर क्या असर होगा?
यूरोपियन यूनियन में कुल 27 देश हैं। यूरोपियन यूनियन का यूनिवर्सल चार्जर का नियम भारत पर लागू नहीं होगा। हालांकि, जब एपल जैसी कंपनी यूरोपियन यूनियन के देशों के लिए कोई एक चार्जर बनाएगी, तो वही चार्जर वह बाकी दुनिया के देशों के लिए भी बनाना चाहेगी, ताकि उसका खर्च कम हो सके।
EU के फैसले के बाद आपके मन में भी कुछ सवाल होंगे कि आखिरकार यह कदम उठाने की जरूरत सरकार को क्यों पड़ रही है? इसके बाद क्या i-phone वालों को भी C टाइप चार्जर यूज करना होगा? इन सारे सवालों के जवाब यहां जानते हैं...
भारत सरकार भी क्यों चाहती है कि एक ही चार्जर
दरअसल पिछले साल नवंबर में ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन यानी COP 26 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने LIFE यानी पर्यावरण के लिए लाइफस्टाइल कॉन्सेप्ट की घोषणा की थी। सरकार लगातार ई-कचरे को कम करने के लिए काम कर रही है। सरकार चाहती है कि 2030 तक GDP के इमिशन इंटेंसिटी यानी उत्सर्जन तीव्रता को 45% कम कर दिया जाए।
ई-कचरा किसे कहते है?
E-Waste या फिर Electronic Waste उन्हीं electrical goods को कहा जाता है, जिन्हें हम यूज करने के बाद dump या discard कर देते हैं। जैसे-जैसे पॉपुलेशन बढ़ रही है, वैसे-वैसे हमारी जरूरतें भी बढ़ रही हैं। घर के हर सदस्य के पास पर्सनल गैजेट है। इस वजह से E Waste भी बढ़ रहा है।
आपको लग रहा होगा कि ई-वेस्ट से सिर्फ पर्यावरण को नुकसान होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं, इसकी वजह से आपकी हेल्थ भी बिगड़ सकती है। ई-वेस्ट से निकलने वाले केमिकल से इन चीजों पर इफेक्ट पड़ सकता है। जैसे-
एक ही चार्जर के नियम का किस कंपनी पर ज्यादा असर?
चूंकि सभी फोन, लैपटॉप, ईयरबड्स आदि को चार्ज करने के लिए एक ही चार्जर को यूज करने की बात कही गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि Apple पर इसका ज्यादा असर होगा। अभी Apple के iPhone चार्जिंग के लिए लाइटिंग पोर्ट यूज हो रहा है। इसके लिए Android फोन की तुलना में एक अलग केबल की जरूरत होती है।
क्या है USB
अभी मार्केट में कौन-कौन से ब्रांड के फोन Type C चार्जर यूज कर रहे हैं?
सैमसंग, शाओमी, ओप्पो, वीवो और रियलमी, मोटोरोला ने टाइप C चार्जिंग पोर्ट वाले फोन पर स्विच कर लिया है।
टाइप चार्जर की कीमत क्या है?
100 से 150 रुपए से कीमत से शुरू होती है।
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