बजट 2023 में अब सिर्फ 6 दिन का वक्त बचा है। हर साल की तरह इस साल भी लोगों को बजट से काफी उम्मीदें हैं। इस बीच आनंद राठी शेयर्स के चीफ इकोनॉमिस्ट सुजान हाजरा का मानना है कि महंगाई पर लगाम लगाने के लिए रिजर्व बैंक ब्याज दरें लगातार बढ़ा रहा है। इसके चलते बैंकों की फंडिंग लागत बढ़ी है। डिपॉजिट और क्रेडिट ग्रोथ में अंतर बढ़ता जा रहा है। ऐसे में बैंकिंग सेक्टर को विकास आधारित बजट की उम्मीद है।
बैंकों के डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स की दर बाजार के अन्य निवेश साधनों के रिटर्न पर टैक्स से ज्यादा है। इसके चलते परिवारों की कुल बचत में बैंक डिपॉजिट की हिस्सेदारी घटती जा रही है। उम्मीद है कि सरकार बजट में बैंक ब्याज पर टैक्स की दर कम करेगी।
उम्मीद है बजट में बैंकों की भारतीय इक्विटी और डेट मार्केट में भागीदारी बढ़ाने के उपाय किए जाएंगे- सुजान हाजरा
इकोनॉमिस्ट हाजरा के मुताबिक, क्रेडिट ग्रोथ बढ़ने से कुछ बैंकों को अतिरिक्त पूंजी की जरूरत पड़ सकती है। मध्यम अवधि में इन बैंकों को बाजार से इक्विटी फंडिंग करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा- हमें उम्मीद है कि बजट में बैंकों की भारतीय इक्विटी और डेट मार्केट में भागीदारी बढ़ाने के उपाय किए जाएंगे। जिससे बैंकों के लिए इक्विटी पूंजी जुटाना आसान हो जाएगा। साथ ही इंटरनेशनल फाइनेंस मार्केट में उनकी पहुंच भी बेहतर हो जाएगी।
भारत और विकसित देशों की फंडिंग लागत में बड़ा अंतर है। सरकार यदि बैंकों को विदेशी फंड उगाही में अपने विवेक का इस्तेमाल करने देने के लिए नियामकीय सुधार करती है तो बैंकों की फंड जुटाने की लागत काफी घट सकती है।
छोटी बचत की दरें बाहरी बेंचमार्क से जोड़ें
आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे कर्ज की दरों की बड़ी रेंज को या तो फंडिंग की मार्जिनल लागत या फिर बाहरी बेंचमार्क से लिंक करें। हालांकि ऐसा कोई स्पष्ट नियम सरकार की विभिन्न स्मॉल सेविंग्स स्कीमों (जैसे सुकन्या समृद्धि योजना) पर लागू नहीं है। चूंकि बैंक डिपॉजिट इन स्कीम्स से प्रतिस्पर्धा करते हैं, लिहाजा जरूरी है कि स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स की दरों को भी उन्हीं बेंचमार्क से जोड़ा जाए।
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