यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका द्वारा लगाई गई पाबंदियों के कारण कई देश रूस से क्रूड खरीदने से बच रहे हैं, वहीं भारत की कोशिश है कि रूस से सस्ते दामों में ज्यादा से ज्यादा खरीदारी की जाए। ओपेक और अन्य तेल उत्पादकों से कच्चा तेल खरीदने में हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए भारत रूस से भारी छूट लेने की फिराक में है।
विदेशी मुद्रा बचाने का यह अच्छा मौका
वैश्विक स्तर पर क्रूड के दाम इस समय लगभग 105 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं, लेकिन भारत चाहता है कि रूस 70 डॉलर प्रति बैरल से कम दर पर क्रूड की सप्लाई करे। जरूरत का 85% से भी अधिक कच्चा तेल आयात करने वाले भारत के लिए विदेशी मुद्रा बचाने का यह अच्छा मौका है। फरवरी के बाद से भारतीय कंपनियों ने रूस से 4 करोड़ बैरल से अधिक क्रूड खरीदा है। यह 2021 की तुलना में 20% अधिक है।
भारत महीने खरीद सकता है 1.5 करोड़ बैरल तेल खरीद
रूसी सरकार के लिए भी कच्चा तेल आमदनी का बड़ा जरिया है। यदि रूस भारत के मांगे रेट पर तेल की डिलीवरी करने को राजी हो जाता है तो भारतीय तेल कंपनियां महीने के 1.5 करोड़ बैरल तेल खरीद सकती हैं जो कि कुल आयात का दसवां हिस्सा है। भारत और रूस कच्चा तेल डिलीवर करने के छोटे और आसान रास्ते की तलाश कर रहे हैं।
ओपेक कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने में विफल
महामारी के बाद से सप्लाई बहाली के लिए संघर्ष कर रहे तेल उत्पादक देश अप्रैल में भी उत्पादन बढ़ाने में विफल रहे हैं। हालांकि इराक में क्रूड उत्पादन बढ़ा है, लेकिन लीबिया और नाइजीरिया जैसे देशों में उत्पादन घटा है। ओपेक लीडर सउदी अरब ने भी अपने कोटे के मुताबिक तेल उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं की है। उत्पादन घटने और डिमांड बढ़ने से कच्चे तेल के दाम 105 डॉलर प्रति बैरल हो गए हैं।
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