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गोफर्स्ट मामले में हाईकोर्ट में अब 30 मई को सुनवाई:लीज पर एयरक्राफ्ट देने वाली कंपनियां विमान वापस चाहती हैं, फ्लाइट 28 मई तक सस्पेंड

नई दिल्ली9 दिन पहले
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दिल्ली हाईकोर्ट में गोफर्स्ट एयरलाइन से एयरक्राफ्ट वापस लेने के मामले में अब 30 मई को सुनवाई होगी। शुक्रवार को हुई सुनवाई में ग्रोफर्स्ट को लीज पर एयरक्राफ्ट देने वाली कंपनियों यानी लेसर्स ने अपने विमान वापस लेने के लिए हाईकोर्ट से मांग की। लेसर्स ने कहा कि विमान उनके हैं और इसे 5 दिनों में डीरजिस्टर कर दिया जाना चाहिए। इससे पहले गुरुवार को जज प्रतिभा एम सिंह ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

जिन लेसर्स ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, उनमें एसिपिटल इन्वेस्टमेंट्स एयरक्राफ्ट 2 लिमिटेड, EOS एविएशन 12 (आयरलैंड) लिमिटेड, पेमब्रोक एयरक्राफ्ट लीजिंग 11 लिमिटेड और SMBC एविएशन कैपिटल लिमिटेड शामिल हैं। लेसर्स ने हाईकोर्ट से DGCA को गो फर्स्ट के दिए एयरक्राफ्ट को डी रजिस्टर करने का आदेश देने का आग्रह किया है।

फ्लाइट 28 मई तक सस्पेंड
उधर गो फर्स्ट ने अपनी सभी फ्लाइट को 28 मई तक के लिए सस्पेंड कर दिया है। जिन लोगों ने पहले से टिकट बुकिंग कर रखी थी एयरलाइन उन्हें टिकटों का पैसा भी लौटा रही है। रिफंड ओरिजिनल पेमेंट मोड के जरिए किया जा रहा है। मतलब, जिन लोगों ने क्रेडिट कार्ड के माध्यम से टिकट का पेमेंट किया है, उनके क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में रिफंड दिखाई देगा। वहीं जिन्होंने UPI और नेट बैंकिंग से पेमेंट किया है, उन्हें रिफंड सीधे उनके अकाउंट में मिलेगा।

मामला हमारे और DGCA के बीच का
सुनवाई के दौरान लेसर्स में से एक EOS एविएशन 12 (आयरलैंड) लिमिटेड की ओर से सीनियर एडवोकेट दयान कृष्णन ने जस्टिस तारा वितस्ता गंजू की सिंगल जज बेंच से कहा कि हम लेसर्स हैं। NCLT में गो फर्स्ट की दिवालिया याचिका से पहले हमने लीज टर्मिनेट कर दी थी। इन्सॉल्वेंसी बैंकरप्सी कोड (IBC) या NCLAT के पास डीरजिस्ट्रेशन के संबंध में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। यह मेरे और डीजीसीए के बीच का मामला है।

एक अन्य लेसर की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा, 'NCLAT की कार्यवाही में DGCA पार्टी नहीं है। यह मेरी प्रॉपर्टी है। IBC की धारा 18 के तहत अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) के पास किसी तीसरे पक्ष से संपत्ति लेने का अधिकार नहीं है। रोहतगी ने कहा कि विमानों को 5 दिनों में डीरजिस्टर कर दिया जाना चाहिए। हाईकोर्ट में एक घंटे से ज्यादा समय तक सुनवाई के बाद मामले को 30 मई के लिए लिस्ट कर दिया गया।

सिलसिलेवार तरीके से समझें अब तक क्या-क्या हुआ?
1. फ्लाइट को अचानक सस्पेंड किया

गो फर्स्ट एयरलाइन ने 2 मई 23 को अचानक ऐलान किया कि वो अपनी फ्लाइट्स 3, 4 और 5 मई के लिए कैंसिल कर रही है। इसके बाद फ्लाइट सस्पेंशन बढ़ाकर 9 मई कर दिया गया। फिर इसे 12 मई, 19 मई, 23 मई, 26 मई और 28 मई कर दिया गया। एयरलाइन के पास फ्यूल भराने का भी पैसा नहीं है। गो फर्स्ट की वेबसाइट के अनुसार एयरलाइन एक समय रोजाना 27 डोमेस्टिक और 8 इंटरनेशनल डेस्टिनेशन के लिए 200 से ज्यादा फ्लाइट ऑपरेट करती थी।

2. दिवाला याचिका लेकर एयरलाइन NCLT पहुंची
फ्लाइट्स कैंसिल करने के तुरंत बाद गो फर्स्ट स्वैच्छिक दिवाला याचिका लेकर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी NCLT पहुंची। NCLT ने 4 मई को इस मामले की सुनवाई की। एयरलाइन ने इंटरिम मोरेटोरियम की मांग की। गो फर्स्ट को लीज पर एयरक्राफ्ट देने वाली फर्म्स ने NCLT से कहा कि उन्हें एयरलाइन की इंटरिम मोरेटोरियम की मांग पर आपत्ति है। मोरेटोरियम के गंभीर परिणाम होंगे। वे अपने विमान को वापस नहीं ले पाएंगे। NCLT ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

3. NCLT ने मानी एयरलाइन की मोरेटोरियम की मांग
10 मई को NCLT ने एयरलाइन को राहत देते हुए मोरेटोरियम की मांग को मान लिया। जस्टिस रामलिंगम सुधाकर और एलएन गुप्ता की दो सदस्यीय बेंच ने कर्ज में डूबी कंपनी को चलाने के लिए अभिलाष लाल को इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल यानी IRP नियुक्त किया। वो एयरलाइन को रिवाइव करने के लिए मैनेजमेंट संभालेंगे। गो फर्स्ट के सस्पेंडेड बोर्ड को नियमित खर्च के लिए 5 करोड़ रुपए भी जमा कराने होंगे।

4. अपीलेट ट्रिब्यूनल ने NCLT के आदेश को बरकरार रखा
NCLT के इस आदेश के खिलाफ लेसर्स ने NCLAT यानी नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल में भी अपील की थी। लेकिन अपीलेट ट्रिब्यूनल ने NCLAT के आदेश को बरकरार रखा।

5. गो फर्स्ट से DGCA ने रिवाइवल प्लान मांगा
DGCA ने गो फर्स्ट को अपना रिवाइवल का प्लान 30 दिन के अंदर जमा करने को कहा है। PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, DGCA ने एयरलाइन से ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट, पायलट और दूसरे अधिकारियों की उपलब्धता, मेनटेनेंस एग्रीमेंट और फंडिंग के स्टेटस और कई दूसरी डिटेल्स भी मांगी है। रिवाइवल प्लान की DGCA समीक्षा करेगा और आगे एक्शन लेगा।

एयरलाइन पर लेनदारों का 11,463 करोड़ रुपए बकाया
गो फर्स्ट ने अपनी एप्लिकेशन में कहा था कि उसने अप्रैल 2020 से अब तक अपने लेनदारों को 19,980 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है। अब उसके सभी फाइनेंशियल रिसोर्स खत्म हो चुके हैं। बैंकों, वित्तीय संस्थानों, वेंडर्स और एयरक्राफ्ट लेजर्स सहित अन्य लेनदारों को उसे 11,463 करोड़ रुपए देना है। गो फर्स्ट ने कहा कि वित्तीय दबाव के कारण फ्यूल सप्लायर सहित अन्य सर्विस प्रोवाइडर उसे अपनी सर्विसेस ऑफर करने को तैयार नहीं हैं।

इंजन सप्लाई नहीं होने से इस हालत में पहुंची एयरलाइन
एयरलाइन ने कहा था कि वो इंजनों की सप्लाई नहीं होने से इस हालत में पहुंची है। अमेरिका के एयरक्राफ्ट इंजन मैन्युफैक्चरर प्रैट एंड व्हिटनी (PW) को गो फर्स्ट को इंजन की सप्लाई करनी थी, लेकिन उसने समय पर इसकी सप्लाई नहीं की। ऐसे में गो फर्स्ट को अपनी फ्लीट के आधे से ज्यादा एयरक्राफ्ट ग्राउंडेड करने पड़े। इससे उसे भारी नुकसान हुआ। एयरलाइन के A20 नियो एयरक्राफ्ट में इन इंजनों का इस्तेमाल होता है।

एयरलाइन का पेमेंट नहीं करने का लंबा इतिहास
गो फर्स्ट को लेकर उसके इंजन सप्लायर प्रैट एंड व्हिटनी (PW) का बयान भी सामने आया है। PW ने कहा कि गो फर्स्ट का समय पर पेमेंट नहीं करने का लंबा इतिहास रहा है। अब ये मामला कोर्ट तक पहुंच गया है, इसीलिए आगे कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।

2005 में मुंबई से अहमदाबाद के लिए उड़ी थी पहली फ्लाइट
गो फर्स्ट वाडिया ग्रुप की बजट एयरलाइन है। कंपनी की वेबसाइट के अनुसार 29 अप्रैल 2004 को गो फर्स्ट की शुरुआत हुई थी। नवंबर 2005 में मुंबई से अहमदाबाद के लिए पहली फ्लाइट ऑपरेट की। एयरलाइन के बेड़े में 59 विमान शामिल हैं।

इनमें से 54 विमान A320 NEO और 5 विमान A320 CEO हैं। गो फर्स्ट 35 डेस्टिनेशन के लिए अपनी फ्लाइट ऑपरेट करता है। इसमें से 27 डोमेस्टिक और 8 इंटरनेशनल डेस्टिनेशन शामिल हैं। एयरलाइन ने साल 2021 में अपने ब्रांड नाम को गोएयर से बदलकर गो फर्स्ट कर दिया था।